
नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष समेत देश के कई संगठन सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग कर रहे हैं. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका दाखिल की है. नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अरुण रॉय, निखिल देव, इरफान हबीब और प्रभात पटनायक ने यचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है, नागरिकता कानून को रद्द किया जाए.
इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 15 याचिकाएं दायर की गईं. सर्वोच्च अदालत में जो अभी तक याचिकाएं दायर की गई हैं, उनमें पीस पार्टी, रिहाई मंच, जयराम रमेश, प्रद्योत देब बर्मन, जन अधिकार पार्टी, एमएल शर्मा, AASU, असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा की याचिकाएं शामिल हैं. नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर जो भी याचिकाएं दायर की गई हैं, उनपर 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
बता दें कि कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत में नागरिकता आसानी से मिल जाएगी. इसके अलावा नागरिकता मिलने का समय भी 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार सिर्फ एक धर्म विशेष को इस बिल के बाहर रख रही है, जो संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है.