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महाराष्ट्र में बीफ बैन के खिलाफ तीन और याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं. दायर याचिकाओं में राज्य में 16 साल से अधिक उम्र के बैलों का कत्ल करने की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है. कोर्ट में एक याचिका किसान संगठन, एक याचिका जमीयतुल कुरैश, महाराष्ट्र और एक याचिका ऑल इंडिया जमियतुल कुरैश, नई दिल्ली की तरफ से दायर की गई है.
याचिका में गाय-बछड़े के सम्मान का हवाला
याचिकाओं में कहा गया है कि गौ हत्या रोकने के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है. दरअसल सरकार इसके नाम पर वोट बैंक की राजनीति करना चाहती है. कसाई के काम करने वाले कुरैश
संगठनों ने अपनी याचिका में कहा है कि वह भी गाय और गाय के बछड़े का सम्मान करते हैं. सरकार को इसमें पूरी तरह सहयोग करना चाहते हैं. लेकिन वो बैल जो 16 साल की उम्र पार कर
चुका है, उसे काटने की इजाजत होनी चाहिए.
प्रतिबंध से 18 लाख लोगों पर असर
संगठनों ने अपनी याचिका में दलील दी है कि 16 साल की उम्र के बाद बैल किसान के किसी काम का नहीं रहता. नकारा हो जाता है. किसान के लिए ऐसा जानवर ATM कार्ड की तरह होता
है. इसे बेचकर किसान को नकद रकम मिल जाती है. याचिका में कहा गया है कि राज्य के 18 लाख लोग इस प्रतिबंध से प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए 16 साल से ऊपर के बैल के कत्ल की
इजाजत होनी चाहिए.
पहले ही दायर की गई है दो और याचिकाएं
कोर्ट में पहले ही बीफ बैन के खिलाफ पहले ही एक याचिका तहसीन पूनावाला की तरफ से दायर हो चुकी है. एक और याचिका वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह से जुड़े संगठन की तरफ से दायर
हुई है.
राज्य में बाहर से बीफ लाने पर लगे पाबंदी
एक और याचिका अखिल भारतीय कृषि गौसेवा समिति की तरफ से दायर की गई है. उस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है. इस याचिका में मांग
की गई है कि किसी दूसरे राज्य से महाराष्ट्र में बीफ लाकर इस्तेमाल करना भी अपराध होना चाहिए. फिलहाल इसकी इजाजत है. बाकी सभी याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई
करेगा.