Advertisement

पेट्रोल-डीजल मोदी सरकार के लिए दुधारू गाय, चार साल में दोगुनी हुई टैक्स से कमाई

कच्चे तेल की कीमत में नरमी के बावजूद टैक्स बढ़ता रहा और इस वजह से पेट्रोलियम सेक्टर से सरकार का राजस्व चार साल में दोगुना हो गया.

पेट्रोल डीजल से सरकार की लगातार बढ़ रही कमाई पेट्रोल डीजल से सरकार की लगातार बढ़ रही कमाई
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2018,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST

पिछले चार साल में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल को दुधारू गाय की तरह इस्तेमाल किया है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद टैक्स बढ़ता रहा और इस वजह से पेट्रोलियम सेक्टर से सरकार का राजस्व चार साल में दोगुना हो गया. पेट्रोल-डीजल को केंद्र और राज्य सरकारें उसी तरह से टैक्स लगाकर भारी कमाई करने का साधन मानती रहीं, जैसा कि शराब में होता है.

Advertisement

जनता को फायदा देने की जगह बढ़ा दिया टैक्स

मनमोहन सरकार के समय कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल थी और उस समय पेट्रोल पर कुल 43 फीसदी टैक्स लगता था. मोदी सरकार के कार्यकाल में तो ज्यादातर समय कच्चे तेल की कीमत नरम ही रही है. अब जाकर यह ऊपर की ओर बढ़ रही है. मोदी सरकार के दौर में जनवरी, 2016 में तो कच्चे तेल की कीमत 28 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी. जाहिर है सरकार ने उस दौर में बहुत अच्छी कमाई की और चाहती तो वह इस गिरावट का लाभ जनता को दे सकती थी. इसके उलट सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी ताकि कमाई ज्यादा से ज्यादा हो सके.

सरकार ने पिछले चार साल में नौ बार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क बढ़ाए और सिर्फ एक बार इसमें कटौती की.

Advertisement

चार साल में लगातार बढ़ी सरकार की कमाई

सत्ता में आने पर साल 2014-15 में एनडीए सरकार को पेट्रोलियम सेक्टर से मिलने वाला राजस्व 3,32,620 करोड़ रुपये था, 2016-17 में यह बढ़कर 5,24,304 करोड़ रुपये पहुंच गया. वित्त वर्ष 2017-18 के पहले छह महीनों में ही सरकार को पेट्रोलियम सेक्टर से मिलने वाला राजस्व 3,81,803 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो कि 2014-15 के पूरे साल से ज्यादा है.

गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव के खत्‍म होने के बाद से ही लगातार बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दाम 12वें दिन भी अपनी बढ़त बनाए हुए हैं. शुक्रवार को भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में खासा उछाल देखने को मिला. दिल्‍ली छोड़कर चेन्‍नई, मुंबई और कोलकाता जोन में पेट्रोल 80 के पार ही रहा. शुक्रवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 77.83 रुपये थी. मुंबई में यह 85.65 रुपये प्रति लीटर थी. कोलकाता में 80.47 रुपये और चेन्नई में 80.80 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया.

शराब जैसी ही मोटी कमाई का स्रोत

सरकार ने पेट्रोलियम को शराब की तरह ही मोटी कमाई का स्रोत मान लिया है. दोनों को जीएसटी से बाहर रखा गया है. अच्छे राजस्व के लिए सरकारें इन सेक्टर का जमकर दोहन करना चाहती हैं.

शराब के मामले में तो सरकारें असल में इसकी संवदेनशीलता का फायदा उठा रही हैं. संविधान के अनुच्छेद 47 में इसे एक संवदेनशील और राज्य का विषय मानते हुए कुछ अपवादों के साथ प्रतिबंधित लगाने की बात कही गई है.

Advertisement

इस अनुच्छेद के बहाने सरकारें शराब पर जमकर टैक्स लगाती हैं. दूसरी तरफ, पेट्रोलियम और पेट्रो उत्पादों को 1955 के एक्ट की धारा 2 के तहत आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया गया है. दिल्ली में पेट्रोल की रिफाइनरी लागत पर करीब 100 फीसदी तक और डीजल पर करीब 50 फीसदी तक टैक्स लिया जाता है.

22 मई का उदाहरण लें, तो पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 76.24 रुपये थी, जबकि रिफाइनरी लागत महज 36.93 रुपये प्रति लीटर थी. इसमें एंट्री टैक्स ओर तेल कंपनियों का मार्जिन भी शामिल है. इस तरह सरकार (केंद्र और राज्य) को पेट्रोल की बिक्री पर प्रति लीटर 39.31 रुपये का राजस्व हासिल हुआ. इसी तरह दिल्ली में डीजल की प्रति लीटर बिक्री पर सरकारों को 19.85 रुपये का राजस्व हासिल हुआ.

दूसरी तरफ अल्कोहल की बात करें तो आयातित शराब पर 150 फीसदी की कस्टम ड्यूटी और उसके ऊपर 10 फीसदी सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगाया जाता है. कई राज्यों में शराब पर 500 से 600 फीसदी तक का टैक्स लग जाता है.

एक अनुमान के अनुसार भारत में अल्कोहल वाले पेय का बाजार करीब 4.6 लाख करोड़ रुपये का है. इससे सरकार ने प्रति व्यक्ति 3,415 रुपये का भारी राजस्व हासिल किया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement