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बड़े मसलों पर पहले मचता है शोर, फिर टूटती है पीएम मोदी की चुप्पी

सर्जिकल स्ट्राइक के हफ्ते भर बाद पीएम मोदी ने इस मसले पर कुछ बोला है. वो भी तब सरकार और पार्टी की छीछालेदर होनी शुरू हो गई.

पीएम मोदी पीएम मोदी
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों की मांग पर मचे सियासी शोर के बीच पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों और बीजेपी नेताओं को संयम बरतने को कहा है. मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्माद और अति उत्साह से बचने को कहा है. मोदी ने कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर सिर्फ अधिकृत नेता ही बोलेंगे. सर्जिकल स्ट्राइक के हफ्ते भर बाद पीएम मोदी ने इस मसले पर कुछ बोला है. वो भी तब सरकार और पार्टी की छीछालेदर होनी शुरू हो गई.

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शुरू में पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक की घटना पर पर्दा डालने की कोशि‍श की जब भारत में मोदी सरकार और सेना की जय-जयकार हो रही थी. सियासी पंडितों ने अटकलें लगानी शुरू कर दीं कि उरी हमले का बदला लिए जाने से मोदी सरकार की साख बढ़ी है और बीजेपी को इसका फायदा यूपी समेत अन्य राज्यों में होगा, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन, कांग्रेस के कुछ नेताओं और दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने शुरू कर दिए. सेना और सरकार की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया तो यह मैसेज जाने लगा कि सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर सरकार कहीं झूठी वाहवाही तो नहीं लूट रही है. पाकिस्तानी मीडिया भी इस मसले को उछाल कर मोदी सरकार की छीछालेदर में जुट गया. ऐसे में बीजेपी के कई नेताओं ने विपक्षी दलों पर अमर्यादित टिप्पणियां कर दी.

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शायद इन घटनाओं के बाद पीएम मोदी को समझ आ गया कि अगर बीजेपी नेताओं की जुबान पर लगाम नहीं लगाई तो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जो माहौल उनकी सरकार के पक्ष में बना है, उसे बिगड़ते देर भी नहीं लगेगी और सियासी फायदे की जगह नुकसान न झेलना पड़ जाए. इस तरह पीएम मोदी सर्जिकल स्ट्राइक पर पीएम मोदी की चुप्पी टूटना सामान्य बात नहीं है.

वैसे तो पीएम मोदी तमाम मौकों पर लंबे-लंबे भाषण देते हैं लेकिन उन्हें यह बखूबी पता रहता है कि कहां क्या और कितना बोलना है. सर्जिकल स्ट्राइक के अगले दिन ही दिल्ली के विज्ञान भवन में पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान एक कार्यक्रम में घंटे भर भाषण दिया लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक तो दूर, वो पाकिस्तान या आतंकवाद पर एक शब्द भी नहीं बोले.

दादरी में अखलाक की मौत
ऐसे पहले भी कई मौके आए जब पीएम मोदी पहले तो कुछ दिन चुप रहे फिर सही वक्त आने पर जमकर बोले. पिछले साल 28 सितंबर को दादरी में गोमांस रखने के शक में अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना को लेकर देशभर में खूब शोर मचा. विरोधियों ने पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर निशाना भी साधा लेकिन जब सरकार और पार्टी की किरकिरी होनी शुरू हो गई तो पीएम मोदी की चुप्पी टूटी. पीएम मोदी ने बिहार के नवादा में एक चुनावी रैली के दौरान कहा कि किसी की मौत पर राजनीति नहीं होने देंगे. गरीबी के खिलाफ लड़ें, एक-दूसरे से न झगड़ें. मोदी ने कहा कि देश को एक रहना है. एकता, भाईचारा, शांति यही देश को आगे ले जाएगा.

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रोहित वेमुला की खुदकुशी
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला ने इस साल 17 जनवरी को हॉस्टल में खुदकुशी कर ली थी. उस वक्त कहा गया कि दलित होने की वजह से वेमुला के साथ भेदभाव हो रहा था, जिससे तंग आकर उसने खुदकुशी कर ली. इस घटना को लेकर भी विरोधियों ने मोदी सरकार के खि‍लाफ खूब हंगामा किया. रोहित की खुदकुशी के 5 दिन बाद जब पीएम लखनऊ में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तो रोहित वेमुला को याद किया. पीएम मोदी रोहित वेमुला को याद करते हुए भावुक हो उठे. उन्होंने कहा, 'जब ये खबर मिलती है कि मेरे देश के एक नौजवान बेटे रोहित को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.... उसके परिवार पर क्या बीती होगी.'

ऊना में दलितों की पिटाई
बीते जुलाई में पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई के मामले ने खूब तूल पकड़ा. आरोप कथि‍त गोरक्षकों पर लगा. कई दिनों तक इस मसले पर सियासत होती रही. यह घटना बीजेपी शासित राज्य में हुई थी. ऐसे में केजरीवाल, मायावती, लालू सहित तमाम विरोधी नेताओं ने पीएम मोदी पर निशाना साधा. पीएम मोदी भी इस मसले पर कई दिनों तक कुछ नहीं बोले. लेकिन इस घटना से न केवल देश में मोदी सरकार की इमेज खराब हो रही थी, बल्कि विदेशों में भी भारत की छवि खराब होने लगी थी.

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यह केवल महीने भर की ही घटना नहीं थी. केंद्र में जब से मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी, गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आने लगी थीं. अब बीजेपी को अहसास होने लगा था कि उसके खि‍लाफ ऐसा माहौल बनने लगा है जिसका खामियाजा गुजरात के आगामी चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है. आखि‍रकार, पीएम मोदी को चुप्पी तोड़नी पड़ी. उन्होंने असली गौसेवकों, गौभक्तों और तथाकथित गौरक्षकों के बीच फर्क किया और दलितों के प्रति सहानुभूति जताते हुए यहां तक कह डाला कि अगर मारना है तो मुझे गोली मार दो लेकिन मेरे दलित भाइयों को कुछ न कहो.

कश्मीर हिंसा पर 32 दिन बाद टूटी चुप्पी
इस साल 8 जुलाई को हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा भड़क गई. कहीं आगजनी, तो कहीं पुलिस पर हमले हो रहे थे. कर्फ्यू लगाना पड़ा. पड़ोसी पाकिस्तान भी रह-रहकर कश्मीर में माहौल बिगाड़ने के लिए चालें चल रहा था. केंद्र सरकार ने घाटी में शांति बहाली के लिए पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन पीएम मोदी करीब महीने भर खामोश रहे. 32 दिन बाद पीएम मोदी की चुप्पी टूटी, वो भी मध्य प्रदेश के झाबुआ में. पीएम वहां चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाबरा में 'याद करो कुर्बानी' प्रोग्राम की शुरुआत करने पहुंचे थे. उन्होंने वहां एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'पीड़ा होती है कि जिन बच्चों के हाथ लैपटॉप, किताब, बैट होनी चाहिए, उनके हाथ में पत्थर हैं. वहां कुछ मुट्ठी भर गुमराह लोग कश्मीर की महान परंपरा को नुकसान पहुंचा रहे हैं.'

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