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PM मोदी ने शल्य का नाम लेकर शौरी-यशवंत पर चलाए बाण?

पीएम मोदी ने कहा कि शल्य की प्रवृत्ति वाले लोग अर्थव्यवस्था की रफ्तार जरा सी धीमी होने पर ऐसे हंगामा मचाने लगे हैं, जैसे सब कुछ गड़बड़ हो चुका हो.

पीएम मोदी पीएम मोदी
बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन कंपनी सेक्रेटरीज इंस्टीट्यूट के गोल्डन जुबली समारोह में शल्य का नाम लेकर आलोचकों पर जबरदस्त हमला बोला. हालांकि  यहां उन्होंने खुलकर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी बातों से प्रतीत होता है कि निशाने पर अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा थे. उन्होंने कहा कि शल्य की प्रवृत्ति वाले लोग अर्थव्यवस्था की रफ्तार जरा सी धीमी होने पर ऐसे हंगामा मचाने लगे हैं, जैसे सब कुछ गड़बड़ हो चुका हो.

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इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंगलवार शाम को दिल्ली के विज्ञान भवन में इंडियन कंपनी सेक्रेटरीज इंस्टीट्यूट के गोल्डन जुबली समारोह में शामिल होने के लिए शाम को 6:00 बजे पहुंचे, तो सबको यह आभास हो गया था कि आज का समारोह कुछ ख़ास होने वाला है. विज्ञान भवन के समारोह में प्रधानमंत्री के बोलने की जगह पर TP लगा हुआ था. टीपी यानी ट्रांसपेरेंसी वह मशीन है, जिसका इस्तेमाल भाषण देने के समय नेता तब करते हैं, जब उन्हें कुछ लिखा हुआ पढ़ना होता है. नरेंद्र मोदी आमतौर पर ट्रांसपरेंसी का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण देने के लिए आए तो इस तैयारी का मतलब जल्द ही  समझ में आ गया. प्रधानमंत्री ने धीमी अर्थव्यवस्था, नौकरियों की कमी और देश के आर्थिक हालत पर अपने आलोचकों के उठाए मुद्दों का चुन-चुन कर जवाब दिया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन के कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान अपनी बात को रखने के लिए पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन का इस्तेमाल किया. विज्ञान भवन के भव्य स्क्रीन पर एक के बाद एक तमाम आंकड़े पेश करके मोदी ने अपने आलोचकों के मुंह बंद करने की कोशिश की.

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प्रधानमंत्री ने भाषण की शुरुआत में ही महाभारत के उस शल्य की कहानी सुनाई, जो कर्ण का सारथी था और जिसका काम था लगातार निराशाजनक बातें बोलकर कर्ण को हतोत्साहित करना, ताकि उसका मनोबल टूट जाए. मोदी ने कहा कि शल्य सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं, बल्कि एक प्रवृत्ति का नाम है, जिनका हमेशा एक ही मकसद होता है निराशा का माहौल फैलाना और यह कहना कि सब कुछ गड़बड़ हो रहा है.  पूरी तैयारी के साथ प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार तरीके से एक के बाद एक आरोपों का जवाब दिया और कहा कि कुछ लोग गंदगी फैलाने में लगे  हैं. लिहाजा उनकी सरकार शुरू से ही स्वच्छता अभियान में लगी है.

मोदी ने कहा कि शल्य की प्रवृत्ति वाले लोग अर्थव्यवस्था की रफ्तार जरा सी धीमी होने पर ऐसे हंगामा मचाने लगे हैं, जैसे सब कुछ गड़बड़ हो चुका हो. मोदी ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब जीडीपी का आंकड़ा कम हुआ हो. लेकिन सिर्फ इस आंकड़े के दम पर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे मोदी सरकार के तीन साल में कुछ हुआ ही नहीं. इसके बाद मोदी ने आंकड़ों के चक्रव्यूह में विरोधियों को घेरा और यूपीए के तीन साल के शासन से अपने सरकार की तुलना करते हुए ये साबित करने की कोशिश की कि उनकी सरकार का प्रदर्शन ज्यादातर मामलों में बेहतर रहा है. जैसे मोदी ने कहा कि लोग सवाल उठा रहे हैं कि लोगों की नौकरिंया जा रही हैं और आमदनी कम हो रही है. लेकिन सच्चाई ये है कि पिछले दो महीनों मे गाड़ियों की बिक्री काफी बढ़ी है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर लोगों की आमदनी कम हो रही होती, तो क्या गाड़ियों की बिक्री बढती?

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मोदी ने आठ नवबंर का जिक्र करते हुए कहा कि नोटबंदी के दिन को शायद आगे भ्रष्टाचार मिटाने के दिवस के रूप में मनाया जाएगा. व्यापरियों को भरोसा दिलाते हुए मोदी ने कहा कि कई लोगों को डर है कि कहीं जीएसटी के दायरे में आने के बाद उनके पुराने हिसाब किताब की बखिया ना उधेड़ी जाए, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि वो लोगों को एक नई शुरुआत करने का मौका देना चाहते है. मोदी ने यह भी कहा कि अगर जीएसटी को लागू करने में कोई गलती या चूक हुई है या फिर कहीं सुधार करने की जरूरत है, तो वो इसके लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि वो ये भी नहीं कहते कि विरोधियों की सारी बातें गलत हैं, लेकिन वो आलोचना के डर से या फिर अपना वर्तमान सुरक्षित करने के लिए देश का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते.

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