
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 27-28 अप्रैल को होने वाली मुलाकात को लेकर भले ही एजेंडा तय न हो. लेकिन ये मुलाकात कई मायने में अहम है. ये तो तय है कि जब मोदी-जिनपिंग मिलेंगे तो बातचीत का मुद्दा नीरव मोदी का प्रत्यर्पण और आतंकी मसूद अजहर पर शिकंजा कसना नहीं होगा.
बिना एजेंडा बातचीत
दरअसल दोनों राष्ट्रध्यक्षों के पास बातचीत के लिए दो दिन का वक्त है, और अभी तक कोई मसौदा तैयार नहीं है कि दोनों के बीच किस मुद्दे पर बातचीत होगी. ऐसे में दोनों नेताओं की कोशिश होगी कि उन मुद्दों पर बातचीत की जाए जो दोनों देशों के हित में हैं और उसका व्यापक असर हो. चाहे वो आतंकवाद का मसला हो या फिर व्यापार का. अगर आतंकवाद पर बातचीत होगी को मुद्दा केवल मसूद अजहर नहीं होगा. क्योंकि भारत की कोशिश होगी आतंकवाद मुद्दे पर बातचीत से दुनिया में संदेश जाए कि दुनिया की दो अहमें ताकतें ग्लोबल आतंकवाद को लेकर चिंतित है. यही नहीं, इस दौरे पर नीरव मोदी को लेकर भी कोई बातचीत का एजेंडा नहीं है. क्योंकि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच अलग स्तर पर बातचीत जारी है.
राजीव गांधी की चीन यात्रा से तुलना
चीनी मीडिया पीएम मोदी के इस दौरे को 1988 में पूर्व पीएम राजीव गांधी की चीन यात्रा से जोड़कर देख रहा है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक राजीव गांधी और चीनी नेता डेंग ज़ियाओपिंग के बीच मुलाकात से जो बड़े निष्कर्ष निकल कर आए थे, ठीक उसी तरह पीएम मोदी के इस दौरे पर होने की उम्मीद है. उस वक्त राजीव गांधी के चीन दौरे से व्यापार के स्तर पर बड़े समझौते हुए थे और उसे आर्थिक नजरिये से आज भी अहम माना जाता है.
बड़े समझौते की उम्मीद
अगर पीएम मोदी के इस दौरे पर नजर डालें तो इसे बेहद अहम माना जा रहा है. बिना एजेंडा जब दोनों नेता मिलेंगे तो बातचीत के मुद्दों को लेकर सामने खुला आसमान होगा. ऐसे में उन मुद्दों पर फोकस होगा जो आर्थिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलाव के लिए दोनों देशों की कोशिशों को सराहना हो. उसपर चर्चा की कोशिश रहेगी.
रिश्ते को मिलेगा नया आयाम
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक दोनों के इस मुलाकात से एशिया की दो शक्तियों के बीच जो दूरियां हैं वो कम होंगी और रिश्ते को मजबूती मिलेगी. रिश्ते सुधरने का मतलब है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को एक नया आयाम मिलेगा और आर्थिक दिशा में बदलाव के लिए ये एक बडा कदम होगा.
दरअसल दोनों नेताओं को अपनी आर्थिक और सामाजिक ताकतों का अहसास है और वो बातचीत की मेज पर दोनों के बीच दिखने वाली है. भारत और चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर आज दुनिया की नजर है और अगर दोनों के बीच इस दिशा में कोई अहम समझौते हुए तो फिर दोनों की आर्थिक ताकत को एक नई ऊर्जा मिलेगी.
डोकलाम जैसे मुद्दों पर भी होगी बात
यही नहीं, चीनी मीडिया का मानना है कि डोकलाम जैसे विवाद को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हो सकती है. लेकिन इसमें ये अहम हो सकता है कि किसी तरह से दोनों देश सीमाओं पर एक-दूसरे की अहमियत को समझे और टकराव की स्थिति को हरसंभव टालने की कोशिश की जाए. क्योंकि सीमा विवादा सीधा असर दोनों देशों की जनता पर पड़ती है और इसका व्यापक असर व्यापार पर भी होता है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने घोषणा की कि मोदी और शी द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए 27-28 अप्रैल के चीन के मध्य में स्थित वुहान में मिलेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां कहा कि वुहान में दोनों नेता महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों के साथ दुनिया में हो रहे ताजा घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.