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PM मोदी का चीन दौरा और शी से मुलाकात, 10 पॉइंट्स में समझें क्या हुआ हासिल

पीएम मोदी का यह दौरा औपचारिक नहीं था, जिसके मद्देनजर दोनों देशों के बीच कोई आधिकारिक समझौता नहीं हुआ. लेकिन दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच जो बातचीत हुई, उसका भविष्य में कई मसलों पर सकारात्मक असर होने की संभावना है.

शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दो दिन की अनौपचारिक शिखर वार्ता आज समाप्त हो गई. इस शिखर वार्ता का मकसद द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए आम सहमति बनाना और संबंधों को प्रभावित करने वाले विवादित मुद्दों को सुलझाना था. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की इस वार्ता के सकारात्मक नतीजे सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है.

पीएम मोदी का यह दौरा औपचारिक नहीं था, जिसके मद्देनजर दोनों देशों के बीच कोई आधिकारिक समझौता नहीं हुआ. लेकिन दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच जो बातचीत हुई, उसका भविष्य में कई मसलों पर असर दिखने की संभावना है. वहीं, आधिकारिक समझौतों से आगे बढ़कर पीएम मोदी की इस यात्रा से क्या हासिल हुआ, इसे इन 10 बिंदुओं से समझा जा सकता है:

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1-अनोखी बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा दो दिवसीय थी. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच इस तरह अनौपचारिक वार्ता हुई  हो. पीएम मोदी ने खुद दुनिया के नेताओं से इस परंपरा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया है.

2-बीजिंग से बाहर किसी शहर में मुलाकात

चीन के राष्ट्रपति हमेशा किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का राजधानी बीजिंग में ही इस्तकबाल करते हैं. साथ ही बीजिंग से बाहर ऐसी मुलाकात भी नहीं होती हैं. लेकिन पीएम मोदी की इस ऐतिहासिक यात्रा पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीजिंग के बजाय वुहांग पहुंचे और इस निजी मुलाकात में दोनों देशों के रिश्तों की नई इबारत लिखी.

पीएम मोदी ने इसके लिए शी जिनपिंग का शुक्रिया भी अदा किया. उन्होंने कहा कि भारत के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि राष्ट्रपति शी ने राजधानी से बाहर आकर उनकी अगवानी की. प्रधानमंत्री ने कहा, 'शायद मैं ऐसा पहला भारतीय प्रधानमंत्री हूं, जिसकी अगवानी के लिए आप दो बार राजधानी (बीजिंग) से बाहर आए.'

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3-चीन की दिलचस्पी

इस पूरी वार्ता के दौरान चीन ने भी दिल खोलकर पीएम मोदी का आदर सत्कार किया. हुबई म्यूजियम में पीएम मोदी का पारंपरिक नृत्य के साथ स्वागत किया गया. इसके बाद उन्हें ऐतिहासिक म्यूजियम की प्रदर्शनी में घुमाया गया. ईस्ट लेक पर चलते हुए लंबी बातचीत, चाय पर चर्चा और नौका विहार भी किया. इसके अलावा वुहान के एक इवेंट में पीएम मोदी के सामने बॉलीवुड फिल्म के गाने की धुन भी बजाई गईं.

इतना ही नहीं, वुहान में लंच भी बेहद खास रहा. लंच मेन्यू कार्ड का डिजाइन खुद जिनपिंग की देख-रेख में तैयार किया गया और इसका रंग भारतीय झंडे (तिरंगा) जैसा था. कार्ड के ऊपर भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर का चित्र बना हुआ था.

4- परस्पर दोनों नेताओं के बीच संबंध

दोनों नेताओं के आपसी रिश्तों की गर्मजोशी भी नजर आई. दोनों नेताओं ने दोस्ताना माहौल में विस्तृत वार्ता की. हुबई संग्रहालय में शी ने मोदी को अपने साथ ले जाकर ऐतिहासिक कलाकृतियां दिखाईं. संग्रहालय में शी को पीएम मोदी के साथ करीब 20 मिनट के लिए रहना तय था, लेकिन वे 40 मिनट से ज्यादा समय तक वहां साथ रहे.

5- विवादित मुद्दों पर सहमति

हालांकि, इस वार्ता में कोई आधिकारिक समझौता नहीं हुआ, लेकिन सीमा विवाद और आतंकवाद जैसे तमाम मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच सकारात्मक बातचीत हुई.

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6- अफगानिस्तान पर साथ

सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन के बीच अफगानिस्तान मसले को लेकर अहम बातचीत हुई. भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों देश अफगानिस्तान में साथ मिलकर काम करेंगे. अफगान प्रोजेक्ट में दोनों देशों की आर्थिक भागीदारी होगी. दोनों देशों ने अफगानिस्तान में शांति कायम करने और आर्थिक मोर्चे पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई है, ताकि यहां से आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सके.

7-सीमा विवाद पर आगे क्या

सीमा विवाद को लेकर पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने बात की. विदेश सचिव ने बताया, 'दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों द्वारा विवाद का बेहतर हल तलाशने का समर्थन किया.' उन्होंने बताया कि 2005 में जो पैरामीटर थे, उन्हीं के आधार पर सेकेंड स्टेज में बात होगी.

8-सेना में तालमेल

दोनों नेताओं ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के सभी इलाकों में अमन-चैन कायम रखने को अहम करार दिया. साथ ही इस बाबत दोनों नेताओं ने फैसला किया कि वे अपनी-अपनी सेनाओं को सामरिक दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि हालात बेहतर हो सकें और डोकलाम जैसी स्थिति न पैदा हो. इस बात भी सहमति बनी कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच संचार बढ़े और परस्पर विश्वास पैदा हो. साथ ही मौजूदा संस्थागत तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा ताकि सीमाई इलाकों में हालात संभाले जा सकें.

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9- जिनपिंग को न्योता

दोनों नेताओं ने साल 2014 में अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत की थी, जब पीएम मोदी ने दिल्ली के बजाय गुजरात में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में शी की मेजबानी की थी. तब से लेकर अब तक उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय बैठकों में एक-दूसरे से मुलाकात की.

मौजूदा वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री ने अगले साल भारत में अगली अनौपचारिक बैठक की मेजबानी करने की शी से पेशकश की. उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी होगी, यदि 2019 में हम भारत में इस तरह की एक अनौपचारिक बैठक करें.'

10-चीनी मीडिया में तारीफ

चीनी अखबारों के पहले पन्ने पर शनिवार को मोदी-शी के 'ऐतिहासिक महत्व' वाले अनौपचारिक वुहान सम्मेलन की खबरों को अच्छी जगह मिली. लगभग सभी अखबारों ने पहले पन्ने पर इस खबर को जगह दी और इसकी जमकर तारीफ भी की. चीन के प्रभावी और प्रमुख सरकारी अखबार पीपल्स डेली की लीड खबर इस सम्मेलन के बारे में है और इसके पहले पन्ने पर मोदी और शी की मुलाकात की दो तस्वीरें प्रकाशित की गई हैं.

एक और प्रमुख अखबार चाइना डेली अपने संपादकीय में कहता है, 'राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वुहान में आयोजित इस अनौपचारिक सम्मेलन की खूबसूरती यह है कि इसमें किसी तरह का बोझ नहीं बल्कि सिर्फ उम्मीदें हैं.

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पीएम मोदी की यह ऐतिहासिक यात्रा खत्म हो गई है. जिसमें दोनों नेताओं के बीच 4 दौर की बातचीत हुई है. पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल भी इस यात्रा पर गए थे.

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