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भारत के लिए आखिर क्यों जरूरी है वियतनाम? इकनॉमी, डिफेंस और सिक्योरिटी के लिहाज से क्या है महत्‍व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को वियतनाम के लिए रवाना हो रहे हैं. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पिछले 15 साल में पहली वियतनाम यात्रा है. 4 से 5 सितंबर को चीन में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में जाने से पहले मोदी के वियतनाम दौरे का खासा महत्व है. पीएम मोदी की यह यात्रा दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी का संकेत होगी.

पीएम मोदी शुक्रवार को वियतनाम दौरे पर जा रहे हैं पीएम मोदी शुक्रवार को वियतनाम दौरे पर जा रहे हैं
मोनिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को वियतनाम के लिए रवाना हो रहे हैं. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पिछले 15 साल में पहली वियतनाम यात्रा है. 4 से 5 सितंबर को चीन में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में जाने से पहले मोदी के वियतनाम दौरे का खासा महत्व है. पीएम मोदी की यह यात्रा दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी का संकेत होगी.

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आर्थ‍िक और व्यापारिक रिश्ते
भारत वियतनाम के टॉप 10 व्यापारिक साझेदारों में से एक है. वियतनाम भारत के व्यापारिक साझेदारों में 28वें पायदान पर है. साल 2013 में दोनों देशों के बीच 5.23 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था और पिछले साल की तुलना में इसमें 32.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.60 बिलियन डॉलर हो गया. इसमें भारत का निर्यात 3.1 बिलियन डॉलर और आयात 2.5 बिलियन डॉलर था. दोनों देशों के बीच 2020 तक 15 बिलियन डॉलर के व्यापार का लक्ष्य है.

भारत वियतनाम में 111 प्रोजेक्ट में निवेश किए हुए है और इसमें करीब 530 मिलियन डॉलर की पूंजी लगी हुई है. भारतीय कंपनियां तेल और गैस, खनिज उत्खनन, चीनी की फैक्ट्री, एग्रो केमिकल, आईटी सहित तमाम क्षेत्रों में निवेश की हुई हैं. इनके अलावा टाटा ग्रुप को सॉकट्रांग प्रांत में 2.1 बिलियन डॉलर का थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट दिया गया है. वियतनाम ने भी भारत की तीन परियोजनाओं में कुल 26 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. इनमें ओएनजीसी, एनआईवीएल, नगोन कॉफी, टेक महिंद्रा, सीसीएल शामिल हैं.

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तेल निकालने की खुली छूट
वियतनाम ने भारत को दक्ष‍िण चीन सागर में तेल और गैस के दोहन के लिए निवेश करने का पूरा अधिकार दे रखा है. वियतनाम का कहना है कि भारत जिस समुद्री इलाके में गैस दोहन कर रहा है वो वियतनाम के विशेष आर्थ‍िक क्षेत्र में आता है. हालांकि, चीन इस इलाके को विवादास्पद बताते हुए गैस दोहन को लेकर भारत को चेतावनी देता रहा है.

भारत का अहम सामरिक हिस्सेदार
मोदी की अगुवाई में भारत की 'ईस्ट पॉलिसी' में वियतनाम अहम अहम सामरिक हिस्सेदार है. पीएम मोदी के दौरे का मकसद व्यापार, डिफेंस और सिक्योरिटी समेत तमाम द्विपक्षीय संबंधों को और भी मजबूत करना है.

वियतनाम ASEAN में भारत के लिए मौजूदा कोऑर्डिनेटर देश है. यह ASEAN में सिंगापुर के अलावा चोटी के दो रणनीतिक साझेदार देशों में शामिल है. इस दौरे पर सुरक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस साइबर सिक्योरिटी को लेकर होगा.

सेना के लिए बड़ी डील
वियतनाम के पीएम अक्टूबर 2014 में भारत आए थे तो दोनों देशों के बीच मिलिट्री को लेकर समझौता हुआ था. 100 मिलियन डॉलर के इस करार के तहत भारत वियतनाम की सेना को 4 गश्ती बोट देगा. इसके अलावा वियतनाम की सेना के लिए अतिरिक्त सैन्य मदद की पेशकश भी की जाने की उम्मीद है. इसके तहत वियतनामी सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए कोटा बढ़ाने और डिफेंस हार्डवेयर की मरम्मत भी शामिल है.

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शीत युद्ध के समय की है दोस्ती
भारत और वियतनाम के बीच गाढ़ी दोस्ती की इबारत शीत युद्ध के दौर में लिखी गई थी जब अमेरिकी सेना से लड़ रही वियतनाम की सेना को भारत ने इमोशनल और मोरल सपोर्ट किया था. दशक बीतने के साथ ही दिल्ली और हनोई के बीच दूरियां और कम होती गईं.

मोदी के वियतनाम दौरे पर दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस मिसाइल समेत कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. मोदी इस दौरान वियतनाम को फौजी ताकत बढ़ाने में सहायता का प्रस्ताव भी दे सकते हैं. गौरतलब है कि चीन और वियतनाम के बीच 1970, 1980 और 1990 के दशक में युद्ध हो चुके हैं. दोनों के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर भी विवाद है. ऐसे में पीएम मोदी वियतनाम के जरिये चीन को घेरने की कोशिश में हैं.

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