
फरवरी महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी रही है. नए ऑर्डर की संख्या घटने की वजह से ग्रोथ सुस्त हुई है. फरवरी में निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग पावर इंडेक्स (पीएमआई) जनवरी में 52.4 से घटकर फरवरी में 52.1 पर आ गया है. यह लगातार सातवां महीना है, जब पीएमआई 50 अंकों के ऊपर बना हुआ है.
भले ही फैक्ट्री उत्पादन में कमी आने से पीएमआई कम हुआ हो, लेकिन 50 अंकों के ऊपर रहने की वजह से इसे अच्छा माना जाता है. इसके लिए घरेलू और विदेशी बाजारों से आने वाली मांग मानी जा रही है.
IHS Markit की अर्थशास्त्री आशना ढोंढिया ने कहा कि लगातार जीएसटी का असर इकोनॉमी पर कम होता जा रहा है. सिर्फ पीएमआई ही नहीं, बल्कि फरवरी महीने में जनवरी के मुकाबले रोजगार के मौके भी बढ़े हैं.
सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल फरवरी के मुकाबले इस महीने कॉस्ट इंफ्लेशन काफी ज्यादा रहा है. कॉस्ट बेस्ड इंफ्लेशन वेतन और कच्चे माल की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी की वजह से बढ़ने वाली महंगाई को कहा जाता है. इसके साथ ही सर्वे में कहा गया है कि आगे भी महंगाई का खतरा बरकरार है.
IHS Markit के ढोंढिया ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई ) के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. सर्वे में यह भी कहा गया है कि भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर अगले 12 महीनों में रफ्तार पकड़ने को लेकर आशावादी है.