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पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी ब्रांच में 11,360 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद अब संसद की स्टैंडिंग कमेटी (फाइनेंस) ने बैंकिंग सचिव और वित्त मंत्रालय से नीरव मोदी पीएनबी घोटाले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
कमेटी ने बैंकिंग सचिव और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से सवाल किया कि करदाताओं का पैसा इतने बड़े घोटाले में चला जाए और बैंक को पता भी नहीं चले, यह कैसे हो सकता हैं? कमेटी में विपक्षी दलों के कई सांसद शामिल हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस कमेटी के सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस के वीरप्पा मोइली ही संसद की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन हैं.
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बीजेडी के सांसद भर्तरी महतब ने बैंकिंग सचिव से सवाल किया, 'जब आपके विभाग को 2016 में ही सारे तथ्यों के साथ ये जानकारी मिल चुकी थी तब भी बैंक में इतना बड़ा घोटाला हो गया. उसके बाद भी आपने बैंक को पुनर्पूंजीकरण क्यों किया?
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कमेटी ने वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया है कि जल्दी ही वो इस पूरे मामले पर रिपोर्ट दे. रिपोर्ट में अन्य बैंकों की जानकारी भी दे जहां इस तरह के घोटाले हुए हैं.
पीएनबी ने घोटाला सामने आने के बाद 10 अधिकारियों को निलंबित कर दिया, साथ ही जांच को सीबीआई को सौंप दिया. फ्रॉड ट्रांजैक्शन सिर्फ पीएनबी ही नहीं बल्कि अन्य बैंकों में भी किया गया था, जिसमें यूनियन बैंक, एसबीआई (ओवरसीज बैंक), एक्सिस बैंक और इलाहाबाद बैंक भी शामिल हैं.
महाघोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू कर दी है. सीबीआई पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है. इस घोटाले का पता बैंक के ऑडिट के दौरान लगा. जब तक इस घोटाले का राज खुला, तब तक नीरव मोदी और उनका परिवार देश से निकल चुके थे. एएनआई को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नीरव मोदी 1 जनवरी को ही देश से निकल चुके थे. इसी दिन नीरव के भाई निशाल मोदी ने भी देश छोड़ा. इसके बाद नीरव की पत्नी ने 6 जनवरी को देश छोड़ा. वहीं, मेहुल चौकसी 4 जनवरी को देश से निकल गए.
पीएनबी को इस मामले का पता ऑडिट के दौरान चला. 2011 में बैंक के ऑडिट के दौरान 280 करोड़ रुपये का पूरा हिसाब नहीं लग पा रहा था. ऑडिट में यह बात सामने आने के बाद बैंक ने इसको लेकर एक्शन लेने की सोची. पीएनबी के सीएमडी सुनील मेहता ने बताया कि उन्हें इस घोटाले का पता जनवरी के तीसरे हफ्ते में चला.