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PNB केस की INSIDE स्टोरी: 7 साल पहले हुआ था फ्रॉड, सरकार की सख्ती से खुलासा

आजतक-इंडिया टुडे को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि यह जालसाजी सात पहले साल ही अंजाम दी गई थी, इसके बावजूद पीएनबी के उच्च‍ाधिकारियों को इसका पता नहीं चल पाया.

पीएनबी में हुई है जालसाजी पीएनबी में हुई है जालसाजी
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST

प्रवर्तन निदेशालय ने पंजाब नेशनल बैंक में हुए करीब 11 हजार करोड़ रुपये के फ्रॉड के मामले में बैंक और डायमंड कारोबारी नीरव मोदी सहित कई टॉप ज्वैलर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आजतक-इंडिया टुडे को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि यह जालसाजी सात पहले साल ही अंजाम दी गई थी, इसके बावजूद पीएनबी के उच्च‍ाधिकारियों को इसका पता नहीं चल पाया.

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इस जालसाजी के सामने आने के बाद PMLA की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है. वित्त मंत्रालय के निर्देश मिलने पर सीबीआई ने भी मामला दर्ज कर लिया है. यही नहीं, सेबी भी न सिर्फ बैंक बल्कि शेयर बाजार में लिस्टेड कई कंपनियों के खिलाफ जानकारी छिपाने के मामले में जांच शुरू कर सकती है.

सरकार ने दिए थे रिकॉर्ड दुरुस्त करने के निर्देश

वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अपने लेनदेन के रिकॉर्ड की नए सिरे से जांच करें, ताकि कोई संदिग्ध मामला हो तो वह सामने आ सके. वित्त मंत्रालय में वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया, 'यह फ्रॉड सात साल पहले ही हुआ था, लेकिन अब जाकर पता लगा है. इसे साल 2011 में पंजाब नेशनल बैंक के एक डिप्टी मैनेजर ने अंजाम दिया था और यह इसलिए पता चल पाया कि हमने सभी बैंकों को यह आदेश दिया था कि वे अपने लेनदेन के रिकॉर्ड को साफ-सुथरा करें. यह बैंकों के एनपीए को दुरुस्त करने के हमारे प्रयास का हिस्सा है.'

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इस मामले में बैंक के 10 कर्मचारी सस्पेंड कर दिए गए हैं और 2 का एफआईआर में भी नाम है. सूत्रों के अनुसार हीरा कारोबारी नीरव मोदी के अलावा नक्षत्र ज्वैलरी, गिन्नी ज्वैलर्स, गीतांजलि ज्वैलर्स के बहीखातों की भी जांच की जाएगी. 57 साल के मोदी का नाम भारतीय अरबपतियों की फोर्ब्स सूची में शामिल था.

नीरव मोदी के एक और 280 करोड़ के ट्रांजैक्शन की जांच चल रही है, जिसकी जानकारी पीएनबी ने ही दी है. अब पीएनबी सवालों के घेरे में है कि आखिर उसने इस पूरे घोटाले की जानकारी पहले सीबीआई को क्यों नहीं दी.

कैसे होता था फर्जीवाड़ा

पीएनबी की मुंबई की एक शाखा का एक कर्मचारी हीरा कंपनियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) प्रदान करता था ताकि वे दूसरे बैंकों से सेक्योर ओवरसीज कर्ज हासिल कर सकें. राजीव कुमार ने बताया, 'हीरा कंपनी यह एलओयू किसी अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा को देती थी. यह पूरा फर्जीवाड़ा करीब 11,400 करोड़ रुपये का है.' पीएनबी से हासिल इस एलओयू के आधार पर ही यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, एक्सिस बैंक आदि ने हीरा कंपनियों को कर्ज दिया. लेकिन पकड़े जाने से बचने के लिए पीएनबी के कर्मचारी बैंक के रजिस्टर में एलओयू को दर्ज ही नहीं करते थे.

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इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद पीएनबी के शेयरों में 9.8 फीसदी की गिरावट आई है. पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है.

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