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बैंक में 'जुगाड़' से PNB को 11,300 करोड़ रुपये का चूना लगा गया नीरव मोदी

जब बात बैंक में डाका डालने की करें तो यह साफ है कि नीरव मोदी ने वही किया जो दो दशक पहले केतन पारिख और हर्षद मेहता कर चुके हैं.

बैंक में चोरी के लिए सुपर हिट है ये फॉर्मूला! बैंक में चोरी के लिए सुपर हिट है ये फॉर्मूला!
राहुल मिश्र/अंशुमान तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

जेम्स और ज्वैलरी कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को 11,300 करोड़ रुपये की चपत लगाने के लिए किसी नए तरीके को नहीं अपनाया. मोदी ने बैंक डकैती और धोखाधड़ी के उसी पुराने फॉर्मूले को अपनाया जिसे पूर्व के दशकों में केतन पारिख और हर्षद मेहता आजमा चुके हैं. भारतीय बैंकों की स्थिति मौजूदा समय में भी वैसी ही लचर और खराब है जैसी दशकों पुराने घोटालों के समय रही है.

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जैसे-जैसे पीएनबी में घोटाले की परत खुल रही है एक बात साफ हो चुकी है कि नीरव मोदी ने भी केतन पारिख और हर्षद मेहता की तरह ही पंजाब नेशनल बैंक से धोखाधड़ी करने के लिए दो बैंकों के बीच होने वाले ट्रांजैक्शन के नियमों का फायदा उठाते हुए बैंक क्रेडिट का इस्तेमाल किया है बीते दो दशकों के दौरान बैंकिंग व्यवस्था में ऑनलाइल ट्रांजैक्शन की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए कई कदम उठाए हैं लिहाजा बैंक को नुकसान पहुंचाने के लिए नीरव मोदी ने बैंक के ऑफलाइन ट्रांजैक्शन में खामियों का सहारा लिया.    

ऑफलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए बैंक के पैसे का इस्तेमाल करने के लिए नीरव मोदी ने बैंक के चुनिंदा अधिकारियों के साथ साठगांठ की. जिसके बाद उसने सीमित अवधि के बैंक से बैंक ट्रांजैक्शन नियमों का फायदा उठाते हुए अपना बिजनेस पेमेंट करने के लिए बैंक के पैसों का इस्तेमाल किया. हालांकि बैंक के नियमों में किसी खामी का फायदा उठाना किसी आम खाताधारक के लिए मुमकिन नहीं है. यह काम नीरव, केतन और हर्षद सरीखे लोगों के लिए ही संभव है.

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जिस तरह दो दशक पहले केतन पारिख और हर्शद मेहता के लिए यह बेहद आसान जुगाड़ था कि अपने किसी बिजनेस डीलिंग में वह बैंक मैनेजर का सहारा लेकर बैंक के पैसे से बिजनेस पेमेंट कर ले. नीरव ने भी इसी तर्ज पर लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग, पे ऑर्डर, बायर क्रेडिट और लेटर ऑफ कंफर्ट जैसे बैंक इंस्ट्रूमेंट्स का सहारा लिया. बैंकिंग नियमों में इन तरीका का प्रावधान दो बैंकों के बीच सीमित समय में किसी ट्रांजैक्शन को प्रभावी करने के लिए है. इसमें बैंक अपने ग्राहकों की गारंटी लेते हुए दूसरे बैंक के लिए ये इंस्ट्रूमेंट जारी करते हैं. इन इस्ट्रूमेंट्स के सहारे कोई भी बैंक अपने ब्रांचों के बीच अथवा दूसरे बैंकों के साथ ट्रांजैक्शन करते हुए अपने बहीखाते को दुरुस्त कनरे का काम करते हैं.

बैंकिंग व्यवस्था में इस इंस्ट्रूमेंट का सहारा आसानी से बैंक के कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर बिजनेस के लिए उठाया जा सकता है. आमतौर पर किसी कारोबारी को ऐसे इंस्ट्रूमेंट जारी करने के लिए बैंक के लिए जरूरी होता है कि वह कारोबारी को दिए गए क्रेडिट में अपना रिस्क कम करने के लिए कारोबारी से मार्जिन मनी मूल शाखा में रखने की शर्त रखे. लेकिन कर्मचारियों की साठगांठ के चलते कुछ कारोबारी बिना मार्जिन मनी के इन इंस्ट्रूमेंट को हासिल कर अपने बिजनेस पेमेंट कर देते हैं. और इन इंस्ट्रूमेंट्स की मियाद से पहले वह जारी करने वाले बैंक को उसका पैसा लौटा देते हैं जिसे बैंक के बहीखाते में चढ़ा दिया जाता है.

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नीरव मोदी ने भी लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग का इस्तेमाल करते हुए बैंक को नुकसान पहुंचाया है. गौरतलब है कि इन इंस्ट्रूमेंट्स को किसी बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा अथवा अंतरराष्ट्रीय बैंक और भारतीय बैंक जारी करते हैं. इसके ऐवज में कारोबारी कंपनी को 90 से 180 दिनों का कर्ज आसानी से मिल जाता है. खास बात यह है कि इसके जरिए दुनिया के किसी कोने में कारोबारी के लिए बैंक से पैसे निकालना आसान हो जाता है. आमतौर पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट कंपनियां देश के बाहर पेमेंट करने के लिए ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करती हैं.

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