
छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांकेर और दुर्ग रेंज के राजनांद गांव में नक्सलियों की रकम खपाने के संदेह में करीब 50 खातों में जमा और निकासी पर रोक लगाई गई है. पुलिस को अंदेशा है कि 10 नवंबर से 15 नवंबर के बीच इन खातों में एक मुश्त रोजाना ढाई-ढाई लाख रुपये जमा किए गए हैं. पुलिस ने ऐसे करीब चालीस खातों पहचान की है, जिसमें नक्सलियों की रकम खपाने का संदेह है. जबकि दस खातेदारों को उनकी जमा रकम के स्रोत बताने के लिए कुछ वक्त की मोहलत दी गई है.
पुलिस मुख्यालय ने नक्सल प्रभावित जिलों के कलेक्टर और एसपी को निर्देश दिए हैं कि ग्रामीण इलाकों के तमाम बैंकों में जन धन और आम खातों पर कड़ी निगाह रखी जाए. हालांकि नक्सल प्रभावित इलाकों के ज्यादातर बैंकों ने पुलिस के हरकत में आने के बाद नए खाते खोलने पर रोक लगा दी है और जन धन के खातों में कुल 50 हजार रुपये से ज्यादा की रकम स्वीकार ना करने का ऐलान किया है. उधर बैंकों के सामने रोजाना जुटने वाली भीड़ इसलिए नदारद हो गई है क्योंकि सादी वर्दी में पुलिस के जवान और मुखबिरों ने मोर्चा संभाल लिया है. पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों के तमाम बैंको से 10 नवंबर से 15 नवंबर तक खोले गए नए खातों का ब्यौरा मांगा है.
छत्तीसगढ़ में उत्तर बस्तर, कांकेर और दुर्ग रेंज के अंतर्गत आने वाले ज्यादातर बैंको में पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह से सक्रिय है. इसके बावजूद सैकड़ों ऐसे खाते हैं, जिसमें लाखों की नकदी जमा हो गई, हालांकि इन खातों की जांच भी शुरू हो गई है. खातेदारों और उनके करीबियों के जरिये उस जमा की गई रकम के स्रोत और जमा करने वाले व्यक्ति की माली हालत की पूरी पड़ताल हो रही है. पुलिस ने उन बैंको में सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए हैं, जहां अभी तक कैमरे की व्यवस्था नहीं हो पाई है.
पुलिस को संदेह है कि जिन लोगों ने संदेही खातों में ये रकम जमा की है वो नक्सलियों की ही है. हालांकि पुलिस ने ऐसे चालीस खातों में ट्रांजेक्शन रोकने के लिए मैनेजरों को निर्देश जारी किया है. कहीं नक्सली रकम जमा करने वालों के जान के दुश्मन ना बन जाए और कहीं उन पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप ना लगा दें. लिहाजा ऐसे संदेही खातेदारों की जान-माल की रक्षा को लेकर गोपनीयता भी बरती जा रही है. बस्तर, कांकेर और राजनांदगांव के तमाम मार्गों पर पुलिस का खुफिया तंत्र सक्रिय है.
नोटबंदी की घोषणा के बाद नक्सलियों का करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये ब्लॉक हो गया है. यह रकम संयुक्त रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में काम कर रहे नक्सलियों की है. इस रकम को ठिकाने लगाने के लिए नक्सलियों ने अपने दबाव वाले इलाकों से लेकर अपने शहरी नेटवर्क तक का इस्तेमाल किया है. आदिवासी इलाकों के बैंक प्रबंधकों को संदिग्ध लेन-देन की जानकारी पुलिस को देने के लिए कहा गया है.