
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम परिवार मे अंतर्कलह उजागर हो गई है. मुलायम के भाई और यूपी में पार्टी के चुनाव प्रभारी शिवपाल यादव ने इस्तीफे की धमकी दी लेकिन मुलायम खुलकर शिवपाल के समर्थन मे आगे आ गए और कहा कि अगर शिवपाल चले गए तो सरकार की ऐसी तैसी हो जाएगी.
मुलायम इस्तीफा देने से शिवपाल को तीन बार मना कर चुके हैं. मुलायम ने भाई को शह देते हुए बेटे अखिलेश को मंच से फटकार लगाते हुए कहा कि अखिलेश के मंत्री बोझ के समान हैं. मुख्यमंत्री और इनकी मंत्रियों की वजह से पार्टी बर्बाद हो जाएगी. राष्ट्रीय पार्टी को उन्होंने बड़ी मुश्किलों से खड़ा किया है.
हालांकि मंगलवार को शिवपाल यादव ने बिगड़ी बात को बनाने के लिये ये बयान दिया कि पार्टी मे उनकी किसी से कोई नाराजगी नही है और अखिलेश अच्छा काम कर रहे हैं. शिवपाल ने कहा कि उनकी जिससे नाराजगी थी, उसके बारे में उन्होंने मुलायम सिंह यादव को अवगत करा दिया है. मगर अब ये बात साफ है कि चचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच सब कुछ ठीक नहीं है.
जानिए कब-कब और किन मुद्दों पर शिवपाल और अखिलेश के बीच हुई तकरार...
1- शिवपाल ने रविवार को कहा कि अखिलेश सरकार के अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. नेता मनमानी कर रहे हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो इस्तीफा दे देंगे.
2- अखिलेश यादव के चहेते मुख्य सचिव आलोक रंजन के रिटायरमेंट के बाद दीपक सिंघल को मुख्य सचिव बनाए जाने में शिवपाल का हाथ था. दीपक सिंघल पिछले चार सालों से शिवपाल के सिंचाई विभाग में प्रमुख
सचिव के पद पर कार्यरत थे. अखिलेश इसके पक्ष में नहीं थे. वो सिंघल के बैचमेट और कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार को मुख्य सचिव बनाना चाहते थे. शुरुआत मे कार्यवाहक मुख्य सचिव का दायित्व भी सौंपा
था.
3- कौमी एकता दल के विलय को लेकर और मुख्तार अंसारी की एंट्री से अखिलेश नाराज थे. विलय कराने में शिवपाल का हाथ था. मध्यस्थता करने वाले मंत्री से नाराजगी जाहिर करते हुये अखिलेश ने मंत्रिमंडल से
बलराम यादव को निष्कासित किया था. विलय रद्द होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में शिवपाल के कहने पर दोबारा बलराम यादव को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
4- बेनी प्रसाद वर्मा को पार्टी में शामिल करने पर अखिलेश असहमत थे. इसमें भी शिवपाल की मुख्य भूमिका थी. मुलायम की मुहर के बाद हुआ फैसला.
5- अमर सिंह को भी पार्टी में दोबारा वापस लाने को लेकर आजम और रामगोपाल के खुले विरोध के चलते अखिलेश असमंजस में थे. शिवपाल पूरी तरह से अमर सिंह के साथ खड़े थे.
6- अखिलेश के करीबी युवा नेताओं सुनील साजन और आनन्द सिंह भदौरिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप मे शिवपाल ने बाहर का रास्ता दिखाया था. नाराज अखिलेश ने सैफई महोत्सव के उद्घाटन प्रोग्राम में
नहीं गए. तीन दिन बाद तब गए, जब दोनों का निष्कासन रद्द किया गया.
7- बिहार चुनाव में नीतीश और लालू के गठबंधन पर अखिलेश को आपत्ति थी. शिवपाल गठबंधन से सहमत थे. बाद में मुलायम और राम गोपाल की नाराजगी के बाद सपा ने अपने आप को गठबंधन से अलग कर लिया
था.
8- अतीक अहमद के पार्टी में शामिल होने पर अखिलेश ने कड़ी आपत्ति जताई थी. शिवपाल ने अतीक का साथ दिया था. कौशांबी मे एक कार्यक्रम में मंच से अतीक अहमद को अखिलेश ने धकिया दिया था.
9- जवाहर बाग कांड में शिवपाल पर आरोप लगा था. शिवपाल पर रामवृक्ष को संरक्षण देने का आरोप था. शिवपाल यादव के दखल के कारण अखिलेश सरकार जवाहर बाग को खाली कराने की कार्रवाई नहीं कर पा रही
थी.
10- 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव ने पश्चिमी यूपी के बड़े माफिया डीपी यादव को पार्टी में शामिल करने का खुले तौर पर विरोध किया था. अखिलेश के विरोध की वजह से डीपी यादव की
सपा में एंट्री नहीं हो सकी थी. चाचा शिवपाल चाहते थे कि डीपी यादव की पार्टी में एंट्री हो.