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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से प्रभावित हो रहा है नवजात बच्चों का वजन

कई एजेंसियों ने मिलकर हाल ही में एक अध्ययन किया है जिसमें बताया गया है कि प्रदूषित हवा का असर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. दिल्ली भी इससे अछूती नहीं है.

प्रदूषण का नवजात पर असर प्रदूषण का नवजात पर असर
भूमिका राय
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

हवा में मौजूद कई तरह के विषाक्त पदार्थों से जहां लगभग हर वर्ग की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ रहा है वहीं हाल में हुआ एक अध्ययन एक और नई चेतावनी लेकर अाया है. इसमें बताया गया है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा का असर यहां की गर्भवती मांओं के गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी पड़ रहा है.

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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कई एजेंसियों ने मिलकर हाल ही में एक अध्ययन किया जिससे यह साबित हुआ है कि प्रदूषित हवा का असर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. इससे भ्रूण का विकास बाधित होता है. सर गंगाराम अस्पताल, पब्ल‍िक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट और लंदन के स्कूल ऑफ हाइजीन ने संयुक्त रूप से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन किया है.

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में जन्मे 10,565 बच्चों के जन्म को रीयल टाइम एयर क्वालिटी के साथ जोड़कर उनका परीक्षण किया गया. इस परीक्षण में उन्हीं गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया जो डिलीवरी के समय दिल्ली में थीं. मॉनिटरिंग स्टेशन से उनके रहने तक की दूरी का भी रिकॉर्ड बनाया गया. उसके बाद प्रसव और उस जगह के 10 किलोमीटर रेंज के प्रदूषण स्तर का भी आंकलन किया गया.

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सर गंगा राम के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ की डॉक्टर नीलम क्लेयर का कहना है कि यह अध्ययन बच्चे पर प्रदूषण के प्रभाव को जानने के लिए किया गया था. डॉक्टर नीलम के अनुसार, कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रदूषित हवा के चलते नवजात बच्चे के वजन पर असर पड़ता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय के साथ और खतरनाक होती जा रही है.

आपको जानकर शायद आश्चर्य हो लेकिन यह सच है कि भारत में होने वाली मौतों की एक बहुत बड़ी वजह प्रदूषित हवा है. इससे विभिन्न प्रकार की सांस से जुड़ी समस्याएं हो जाती है. सांस की तकलीफ के चलते पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं. प्रदूषित हवा का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. इसके अलावा प्रदूषि‍त हवा में सांस लेने से हाई ब्लड प्रेशर होने की भी समस्या हो जाती है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि हवा में मौजूद खतरनाक रसायनिक तत्व जैसे कार्बन मोनो-ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड के चलते गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर असर पड़ता है और कई बार तो प्रीमैच्योर बेबी के होने की आशंका बढ़ जाती है.

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