
दिल्ली की सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों को छोड़कर ज्यादातर सीटों पर काफी बुरा प्रदर्शन किया. अपने राष्ट्रीय दल के दर्जे को कायम रखने के जद्दोजेहद में जुटी बीएसपी ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्रों में 1000 से भी कम मत हासिल कर पाई जबकि उसके कुछ उम्मीदवारों ने अच्छे खासे मत बटोरे. मायावती के बारे में 15 खास बातें
यह घटनाक्रम पार्टी सुप्रीमो मायावती के लिए अच्छी खबर नहीं जान पड़ रही है क्योंकि चुनाव आयोग बीएसपी को दिए अपने इस कारण बताओ नोटिस पर फैसला लेने वाला है कि क्यों न उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया जाए.
आदर्शनगर में बीएसपी के रामनिवास ने 681, अंबेडकरनगर में राजबीर ने 815 मत और बाबरपुर में मोहम्मद अब्दुल हक ने 754 वोट हासिल किए. हालांकि पार्टी ने दिल्ली की कुछ सीटों पर सम्मान जनक प्रदर्शन किया.
गोकुलपुर में उसके उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार ने 30,080 और सीमापुरी में जयश्री ने 3584 मत बटोरे.
बीएसपी ने चुनाव आयोग से दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने तक उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर फैसला स्थगित करने की अपील की थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर चुनाव आयोग ने बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे पूछा था कि क्यों न राष्ट्रीय पार्टी का उनका दर्जा वापस ले लिया जाना चाहिए.
कोई भी राजनीतिक दल तब राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के काबिल होता है यदि उसने नवीनतम लोकसभा चुनाव में लोकसभा में कम से कम तीन राज्यों से दो फीसदी सीटें (11 सीटें) जीती हों. इसी के साथ यदि किसी दल ने लोकसभा की चार सीटें जीतने के अलावा लोकसभा चुनाव और कम से कम चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में डाले गए वैध मतों में छह फीसदी मत हासिल किए हैं तभी वह राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के लिए पात्र है.
- इनपुट भाषा