
केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा करते हुए माना कि अगले कुछ महीने देश में वित्तीय संतुलन बनाने के लिए अहम है. रिजर्व बैंक के मुताबिक इन चुनौतियों को देखते हुए अभी देश में ब्याज दर घटाने की कोई कवायद करना उचित नहीं था. लिहाजा रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है. लेकिन परेशानी की बात यह है कि रिजर्व बैंक ने नोटबंदी की चुनौतियों को देखते हुए आर्थिक विकास दर (जीडीपी ग्रोथ) के अपने आकलन को 7.6 फीसदी से कम करते हुए 7.1 फीसदी कर दिया है.
अमेरिका में मजबूती के संकेत
रिजर्व बैंक के मुताबिक 2016 के आखिरी 6 महीनों के दौरान ग्लोबल इकोनोमी में तेजी देखने को मिल रही है. जबकि साल के पहले 6 महीने में ग्लोबल इकोनोमी में कमजोरी कायम थी. मौजूदा तेजी अमेरिकी बाजार में लौट रही मजबूती के चलते है. वहीं डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से लगातार अमेरिकी डॉलर दुनिया की दूसरी करेंसी के मुकाबले मजबूत हो रहा है.
लिहाजा, कयास लगाया जा रहा है कि अगले हफ्ते अमेरिकी केन्द्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) अपनी मॉनीटरी पॉलिसी की समीक्षा के दौरान ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला ले सकती है. ऐसे में यदि आज रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को बढ़ाने की कवायद की होती तो अगले हफ्ते अमेरिकी फैसले पर नकारात्मक असर देखने को मिलता.
नोटबंदी आखिर जीडीपी को कम करेगा ही
नवंबर के पहले हफ्ते के बाद नोटबंदी का फैसला लगातार आर्थिक चुनौतियों को बढ़ा रहा है. जहां देश कालेधन के खिलाफ बड़ा कदम उठा रहा है और कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ अग्रसर है. वहीं दुनियाभर के कई इकोनॉमिस्ट दावा कर रहे थे कि इस फैसले से भारत में विकास दर को तगड़ा झटका लग सकता है.
लेकिन केन्द्र सरकार लगातार इन दावों को नकारता रहा है. आज रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में यह बात साफ तौर पर कह दी है कि नोटबंदी के असर से जीडीपी विकास दर का अनुमान 7.6 फीसदी की बजाए 7.1 फीसदी रहेगा.
गौरतलब है कि केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद पहली की द्विमासिक मॉनीटरी पॉलिसी घोषित करते हुए ब्याज दरों में कटौती करने से मना कर दिया. इससे पहले अक्टूबर में रिजर्व बैंक गवर्नर नियुक्त होने के बाद अपनी पहली समीक्षा में पटेल ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइट की कटौती की थी.