
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का निर्णय लेकर बहुदलीय लोकतंत्र में राजनीतिक छुआछूत समाप्त करने का संदेश दिया है.
सुशील मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इसका स्वागत करने के बजाय दुष्प्रचार की राजनीति करने वालों की छाती फट रही है. उन्होंने ट्वीट किया, 'आरएसएस के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के आग्रह पर 1934 में महात्मा गांधी ने वर्धा में आयोजित संघ के प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया था. गांधीजी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित किया.'
उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'वर्ष 1963 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आमंत्रण पर संघ के स्वयंसेवक गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित हुए. संघ के वरिष्ठ नेता एकनाथ रानाडे का आमंत्रण स्वीकार कर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विवेकानंद शिलास्मारक का उद्घाटन किया था. गांधी-नेहरू के बारे में भी न जानने वाले कांग्रेसी प्रणब मुखर्जी पर सवाल उठा रहे हैं.
मोदी ने यह भी कहा कि बिहार आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और लोकनायक जेपी ने 1977 में संघ के कार्यक्रम में शामिल होकर राजनीतिक दलों के बीच वैचारिक संवाद बढ़ाने का संदेश दिया था. राष्ट्रीय संकट, आपातकाल और प्राकृतिक आपदा के समय देश के साथ खड़े रहने वाले संघ को बदनाम करने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी.
दरअसल, कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के कार्यक्रम में जाना पार्टी और 'सेकुलर' खेमे के लिए नुकसानदेह है. इन नेताओं का कहना है कि 'सेकुलर' पार्टी के नेता का आरएसएस के मुख्यालय जाने का मतलब उसे एक तरह से मान्यता प्रदान करना है, जो कि अभी तक कांग्रेस के लिए 'अस्पृश्य' रही है और राहुल गांधी हर भाषण में जिस पर हमला करते रहे हैं.