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प्रणब मुखर्जी का साफ संकेत, मैं राष्ट्रपति की दौड़ में नहीं हूं

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि वह राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल की समाप्ति में ठीक दो महीने बचे हैं. 25 जुलाई को एक नया राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेगा. मैं उन अधिकारियों को वापस उनके मंत्रालयों और विभागों में भेज रहा हूं जिन्होंने मेरे साथ काम किया है. एक को वाणिज्य मंत्रालय में और दो को विदेश मामले के मंत्रालय में भेजा गया है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
BHASHA/विकास कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2017,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि वह राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल की समाप्ति में ठीक दो महीने बचे हैं. 25 जुलाई को एक नया राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेगा. मैं उन अधिकारियों को वापस उनके मंत्रालयों और विभागों में भेज रहा हूं जिन्होंने मेरे साथ काम किया है. एक को वाणिज्य मंत्रालय में और दो को विदेश मामले के मंत्रालय में भेजा गया है.

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राष्ट्रपति ने यह बात एक टी पार्टी में कही. यह पार्टी राष्ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल ने नीदरलैंड में राजदूत नियुक्त किए गए राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमणि को विदा करने के लिए दी थी जिसमें विशेष रूप से मीडियाकर्मियों को बुलाया गया था. राजमणि अगले महीने नीदरलैंड में अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे.

मुखर्जी की टिप्पणी जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर चल रही राजनीतिक गतिविधियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार को स्वीकार हो तो मुखर्जी के लिए दूसरे कार्यकाल पर विचार किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया है कि इस शीर्ष पद के लिए उसके दिमाग में कौन है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शुक्रवार को इस पद के लिए विपक्षी उम्मीदवार को लेकर आम सहमति पर पहुंचने के प्रयासों के तहत विपक्षी नेताओं के लिए मध्याह्न-भोज आयोजित कर रही हैं, जिसमें तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया है. ममता ने हाल ही में सोनिया से मुलाकात कर मुखर्जी के दूसरे कार्यकाल पर सहमति जताई थी.

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अपनी टिप्पणी में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इतने व्यस्त राजनीतिक जीवन के बाद अब उनके मन में सवाल उठा रहा है कि क्या वह दोबारा राष्ट्रपति के पद के अनुरूप हो पाएंगे जहां उन्हें संवैधानिक नियमों के तहत काम करना होता है.

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