
दिल्ली में चुनावों से पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को चुनावी जीत के मास्टरमाइंड माने जाने वाले प्रशांत किशोर का साथ मिल गया है. प्रशांत किशोर इससे पहले 2014 के आम चुनावों में बीजेपी और तमाम राज्यों में विभिन्न पार्टियों का चुनावी प्रबंधन संभाल चुके हैं. आप के खेमे में प्रशांत किशोर के आ जाने से AAP नेता जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं.
केजरीवाल ने शनिवार सुबह ट्वीट किया, 'आपसे यह बात साझा करते हुए खुशी हो रही है कि प्रशांत किशोर की आईपीएसी हमारे साथ आ रही है. उनका स्वागत है'. केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए मनीष सिसोदिया ने लिखा, 'अबकी बार 67 पार...'.
2014 में बने मोदी के जीत के हीरो
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर का नाम उस वक्त चढ़ा था जब यह पता चला था कि 2014 के आम चुनावों में उन्होंने बीजेपी के लिए रणनीति तैयार की थी. नरेंद्र मोदी के 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान और जीत के पीछे प्रशांत किशोर ही बड़े हीरो के रूप में उभरे थे. 2014 की बीजेपी की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर के कैंपेन को ही दिया जाता रहा. इसके बाद प्रशांत किशोर ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उन्हें कई चुनावी कांट्रेक्ट मिले और सारी जिम्मेदारियों को उनकी टीम ने बखूबी निभाया.
2015 में नीतीश कुमार को बनाया मुख्यमंत्री
2015 में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान जेडीयू के चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई. नीतीश कुमार की छवि चमकाने में भी प्रशांत किशोर का ही दिमाग माना जाता है. चुनावों के बाद भले ही जेडीयू दूसरे नंबर पर रही लेकिन नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे.
2016 में कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन संभाला
2016 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी ली. कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की आईपैक यानी इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी को यूपी विधानसभा और पंजाब विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी दी गई. प्रशांत किशोर की टीम ने दोनों ही राज्यों में जिम्मेदारी संभाली और विधानसभावार सर्वे किए और तमाम स्थानीय मुद्दे खोज निकाले.
यूपी में नहीं मिली सफलता, पंजाब में जीती कांग्रेस
2016 में पहली बार प्रशांत किशोर का जादू फेल हुआ. यूपी में कांग्रेस को आशातीत सफलता नहीं मिली. हालांकि पंजाब में पीके की रणनीति सफल रही और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने. यहां यूपी में कांग्रेस के परिणामों को लेकर सीधे पीके को जिम्मेदार ठहराना भी सही नहीं होगा. क्योंकि जैसे-जैसे चुनावी पारा चढ़ रहा था वैसे-वैसे वहां के स्थानीय नेताओं और प्रशांत किशोर के बीच टकराव की खबरें भी सामने आती रहीं.
हरीश रावत की खातिर उत्तराखंड में भी की मेहनत
यहां आपको यह भी बता दें कि प्रशांत किशोर की टीम ने 2016 में यूपी और पंजाब के साथ-साथ उत्तराखंड में भी काम किया. उत्तराखंड में पीके की टीम ने करीब दो महीने मेहनत की. बताया जाता है कि इसके लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद निवेदन किया था.
2018 में ली YSR कांग्रेस को दिलाई एकतरफा जीत
2018 में प्रशांत किशोर ने आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनावों में YSR कांग्रेस के चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी संभाली. पीके की टीम ने राज्य में ग्रामीण स्तर पर काफी काम किया. यही वजह रही कि 2019 के विधानसभा चुनावों में YSR कांग्रेस को 175 में से 150 सीटें मिलीं. जगनमोहन रेड्डी की इस जीत में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका रही.
2019 में TMC का कायापलट की जिम्मेदारी
2019 में प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में होने वाले 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए टीएमसी के खेमे को मजबूत करने और उसके लिए चुनावी रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी ली है. राज्य में फिलहाल टीएमसी की ही सरकार है इसलिए यह पीके के लिए एक अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाला है क्योंकि बीजेपी वहां लगातार मजबूत होती जा रही है और पार्टी वहां विधानसभा चुनावों के लिए काफी मेहनत कर रही है. प्रशांत किशोर की रणनीति ममता बनर्जी के आक्रामक तेवर और टीएमसी के बदलते रुख में साफ नजर आ रहा है अब देखना होगा कि उनकी मेहनत कितनी रंग लाती है. अब पीके ने आम आदमी पार्टी के लिए भी विधानसभा चुनावों में रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी ले ली है.
विदेश में भी रही है प्रशांत किशोर की मांग
2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी की जीत के हीरो बने प्रशांत किशोर 2015 में जहां बिहार में जेडीयू के लिए चुनावी रणनीति बना रहे थे तो वहीं दूसरी ओर विदेशों में भी वे चुनावी सलाह दे रहे थे. तंजानिया में पीके ने चामा चा मापिनडुजी (सीसीएम) पार्टी को कंसल्टेंसी सर्विसेज दी थी. जानकारी के मुताबिक पीके की टीम तंजानिया नहीं गई थी बल्कि यहीं रहकर उसने तंजानिया के चुनावों पर काम किया था.