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केजरीवाल को मिला PK का साथ, दिल्ली चुनाव में बने AAP के रणनीतिकार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को प्रशांत किशोर का साथ मिलने की खबर आ रही है. चुनावी रणनीतिकार के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति बनाएंगे. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी.

प्रशांत किशोर (IANS फाइल फोटो) प्रशांत किशोर (IANS फाइल फोटो)
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 14 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:36 PM IST

  • केजरीवाल के लिए रणनीति बनाएंगे प्रशांत किशोर
  • कुछ दिनों में दिल्ली विधानसभा के लिए होंगे चुनाव

नागरिकता संशोधन कानून को समर्थन देने के मामले में अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से अलग रुख रखने वाले प्रशांत किशोर आज शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे. इस बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी को प्रशांत किशोर का साथ मिलने की खबर आ रही है.

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चुनावी रणनीतिकार के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति बनाएंगे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी.

बता दें कि I-PAC प्रशांत किशोर की एजेंसी है. यह एजेंसी औपचारिक रूप से राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार करती है. आगामी कुछ दिनों में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं और प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर और अरविंद केजरीवाल के बीच इस सिलसिले में लंबे समय से बातचीत चल रही थी. प्रशांत किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए चुनाव प्रचार किया था.

प्रशांत किशोर के बागी तेवर

बहरहाल, जरीवाल और प्रशांत किशोर ने उस समय औपचारिक रूप से हाथ मिलाया है, जब किशोर अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का सार्वजनिक तौर पर नागरिकता संशोधन बिल पर विरोध कर रहे हैं.

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नए नागरिकता कानून को समर्थन देने के मामले में प्रशांत किशोर अपनी पार्टी जेडीयू की चेतावनी के बाद भी अपने रुख से पीछे नहीं हटे हैं. उन्होंने शुक्रवार को एकबार फिर नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन ट्वीट कर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने अपनी पार्टी के रुख के खिलाफ जाते हुए ट्वीट किया, "बहुमत से संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया. न्यायपालिका के अलावा अब 16 गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी है, क्योंकि ये ऐसे राज्य हैं, जहां इसे लागू करना है."

प्रशांत किशोर ने आगे लिखा, "तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएबी और एनआरसी को नकार दिया है और अब दूसरे राज्यों को अपना रुख स्पष्ट करने का समय आ गया है."

उल्लेखनीय है कि इससे पहले जेडीयू ने अपने नेताओं को ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी थी, परंतु किशोर ने उन सलाहों को नजरअंदाज करते हुए एक बार फिर अपनी नाराजगी सार्वजनिक की है.

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