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क्या आप मां बनने वाली हैं? अगर हां तो इस खुशी के मौके पर आपको दिवाली में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. पटाखों से निकलने वाला धुआं, धमाके की आवाज और केमिकल गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते हैं. साथ ही ये भ्रूण को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
नर्चर आईवीफ सेंटर की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज कहती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है. केमिकल्स के सीधे संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि जिन्हें सांस की समस्या हो, उन्हें हर हाल में प्रदूषण से दूर रहना चाहिए. खासकर अगर किसी महिला को अस्थमा की समस्या है तो उन्हें हर वक्त अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए. एलर्जी के खतरे को कम करने के लिए जब तक संभव हो सजावट की फूल-मालाएं आदि को घर से बाहर ही रखें. साथ ही उन्हें घर के भीतर लाने से पहले पानी से अच्छी तरह से छिड़काव करें. ऐसा करने से उन फूलों पर लगी धूल और पराग खत्म हो जाएगी और एलर्जी से भी बचाव होगा.
डॉ. अर्चना के अनुसार, प्रदूषण पेट में पल रहे मासूम के बहुत नुकसानदेह है. मां जो कार्बन मोनोक्साइड सांस के जरिए लेंगी, वह हानिकारक गैस भ्रूण के प्लेसेंटा से हो कर गुजरे तो गर्भ में पल रहे बच्चे को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाता. यह भ्रूण के विकास में रुकावट का कारण भी बन सकता है. उन्होंने कहा कि अक्सर महिलाएं त्योहार की तैयारियों में व्यस्त होकर भोजन के प्रति लापरवाही कर जाती हैं. उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 1 से 2 घंटे के अंतराल पर पौष्टिक भोजन लेते रहना चाहिए और संभव हो तो हर घंटे में पानी पीते रहना चाहिए. ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या, बेहोशी और सुस्ती से आप खुद को बचा सकती हैं.