
सब कुछ इतनी तेजी से बदला है कि हर कोई हैरान है. सिर्फ 8 महीने पहले चीनी मीडिया भारत को जंग की धमकी दे रही थी, क्योंकि दोनों देशों की सेनाएं करीब 72 दिन तक डोकलाम में आमने-सामने थीं. आज बीजिंग पीएम मोदी के लिए लाल कालीन बिछा रहा है. इस बार पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दस-बीस साल नहीं बल्कि अगले सौ साल के रिश्ते का खाका खींच सकते हैं.
सभी तरह के प्रोटोकाल को तोड़ते हुए वुहान में एक अभूतपूर्व अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी की जा रही है, जैसा कि अब बेहतर ताकतवर बन चुके राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पहले किसी विदेशी नेता के लिए नहीं किया था. वह पहली बार इस तरह के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, इसलिए सबको इससे काफी उम्मीदें हैं.
राजीव गांधी के दौरे से तुलना
चीनी मीडिया में पहले पेज पर इस बारे में जमकर खबरें चल रही हैं और मोदी के वुहान दौरे की तुलना राजीव गांधी के 1988 के दौरे से की जा रही है.
साल 1988 में राजीव गांधी की मेजबानी करने वाले पूर्व नेता देंग जिआयोपिंग के अनुवादक रह चुके गाओ झिकाई ने कहा, 'साल 1988 में राजीव गांधी की यात्रा ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमा बर्फ को तोड़ा था. पीएम मोदी की यह यात्रा एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि भारत और चीन दोनों पिछले वर्षों में काफी बदल गए हैं और महत्वपूर्ण चुनौतियों एवं लक्ष्यों का सामना कर रहे हैं. इस बार के शिखर सम्मेलन से भारत और चीन के बीच दोस्ती काफी मजबूत होगी और दोनों देशों के रिश्ते एक नए आयाम को हासिल करेंगे. मैं समझता हूं कि इससे एक नए तरह का रिश्ता बनेगा जिसमें उम्मीद है कि सभी अवरोध और अड़चनें खत्म हो जाएंगी.'
चीन का अनुमान, 2019 के बाद भी रहेंगे मोदी
भारतीय मामलों से जुड़े चीन के उप विदेश मंत्री कोंग शुआनयू ने यह संकेत दिया कि अब चीन आखिर क्यों मोदी के इतना करीब आ रहा है. भारत में 2019 में आम चुनाव हैं, लेकिन चीन को लगता है कि 2019 के बाद भी नरेंद्र मोदी भारत के पीएम रहेंगे. शुआनयू कहते हैं, 'शी और मोदी दोनों के पास सामरिक दृष्टि और ऐतिहासिक जिम्मेदारी है. दोनों को अपनी जनता का व्यापक समर्थन हासिल है और वे इस रिश्ते को काफी महत्व दे रहे हैं.'
अगले 100 साल की होगी बात!
कोंग ने बताया कि वुहान शिखर सम्मेलन में अनौपचारिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, इसमें बिना किसी तय एजेंडा के कई व्यापक मसलों पर बात होगी और अगले 100 साल के लिए एक खाका तैयार हो सकता है. दोनों नेता अब डोकलाम से आगे बढ़ जाने की बात करेंगे.
अमेरिका से ट्रेड वार का डर
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैक्टर ने भी चीन को अपना व्यवहार बदलने को मजबूर किया है. चीन-अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के खतरे को देखते हुए चीन अब अलग-थलग नहीं रहना चाहता और यह भी नहीं चाहता कि भारत पूरी तरह से अमेरिकी खेमे में चला जाए.
क्यों चुना गया वुहान को
वुहान चीन का एक प्रसिद्ध शहर है जहां यागत्से नदी बहती है और यहां तीन बांध भी हैं. इसका चयन काफी सोच-समझ कर किया गया है. कोंग ने बताया, 'मोदी उत्तर में बीजिंग जा चुके हैं, दक्षिण में शंघाई, पश्चिम में शियान और पूर्व में शियामेन भी जा चुके हैं. लेकिन वह कभी भी चीन के मध्य में नहीं गए हैं. इसलिए इस बार उन्हें मध्य में स्थित वुहान शहर में आमंत्रित किया गया है.