प्रणब का राष्ट्र के नाम संदेश, लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर दिया जोर
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का समर्थन किया. इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है. प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि मैं 68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई देता हूं. हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण वैश्विक गतिविधियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रही है. राष्ट्रपति ने काह कि काले धन को बेकार करते हुए और भ्रष्टाचार से लड़ते हुए, विमुद्रीकरण से आर्थिक गतिविधि में, कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है. राष्ट्रपति ने डिजिटल पेमेंट की तारीफ करते हुए कहा कि इससे लेनदेन में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी.
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एक साथ चुनाव कराने पर हो विचार
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का समर्थन किया. इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है. प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए.
संसद में हंगामे को लेकर किया सचेत
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने जोर दिया कि देश की ताकत इसकी बहुलतावाद और विविधता में निहित है और भारत में पारंपरिक रूप से तर्कों पर आधारित भारतीयता का जोर रहा है, न कि असहिष्णु भारतीयता का. उन्होंने कहा, हमारे देश में सदियों से विविध विचार, दर्शन एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं. लोकतंत्र के फलने फूलने के लिए बुद्धिमतापूर्ण और विवेकसम्मत मन की जरूरत है. प्रणब मुखर्जी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित किया लेकिन संसद और राज्य विधानसभाओं में व्यवधान के प्रति सचेत भी किया.
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राष्ट्रपति का पूरा संबोधन-
-हम वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति के दूसरे सबसे बड़े भंडार, तीसरी सबसे बड़ी सेना, न्यूक्लीयर क्लब के छठे सदस्य हैं. -अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल छठे सदस्य और दसवीं सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति हैं. -एक निवल खाद्यान्न आयातक देश से भारत अब खाद्य वस्तुओं का एक अग्रणी निर्यातक बन गया है. -अब तक की यात्रा घटनाओं से भरपूर, कभी-कभी कष्टप्रद परंतु अधिकांशतः आनंददायक रही है. -जैसे हम यहां तक पहुंचे हैं वैसे ही और आगे भी पहुंचेंगे. -परंतु हमें बदलती हवाओं के साथ तेजी व दक्षतापूर्वक रुख में परिवर्तन करना सीखना होगा. -प्रगतिशील और वृद्धिगत विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से पैदा हुए तीव्र व्यवधानों को समायोजित करना होगा. -नवाचार, और उससे भी अधिक समावेशी नवाचार को एक जीवनशैली बनाना होगा. -मनुष्य और मशीन की दौड़ में, जीतने वाले को रोजगार पैदा करना होगा. -प्रौद्योगिकी अपनाने की रफ्तार के लिए एक ऐसे कार्यबल की आवश्यकता होगी जो सीखने और स्वयं को ढालने का इच्छुक हो. -हमारी शिक्षा प्रणाली को, हमारे युवाओं को जीवनपर्यंत सीखने के लिए नवाचार से जोड़ना होगा. -स्वतंत्र भारत में जन्मी, नागरिकों की तीन पीढि़यां औपनिवेशिक इतिहास के बुरे अनुभवों को साथ लेकर नहीं चलती हैं. -लोकतंत्र ने हम सब को अधिकार प्रदान किए हैं. परंतु इन अधिकारों के साथ-साथ दायित्व भी आते हैं. -आज युवा आशा और आकांक्षाओं से भरे हुए हैं. -खुशहाली जीवन के मानवीय अनुभव का आधार है. -खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक मानदंडों का परिणाम है. -हमें अपने लोगों की खुशहाली और बेहतरी को लोकनीति का आधार बनाना चाहिए. -सरकार की प्रमुख पहलों का निर्माण समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. -भारत का बहुलवाद और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी और धार्मिक अनेकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है. -हमारी परंपरा ने सदैव ‘असहिष्णु’ भारतीय नहीं बल्कि ‘तर्कवादी’ भारतीय की सराहना की है. -सदियों से हमारे देश में विविध दृष्टिकोणों, विचारों और दर्शन ने शांतिपूर्वक एक दूसरे के साथ स्पर्द्धा की है. -लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए, एक बुद्धिमान और विवेकपूर्ण मानसिकता की जरूरत है. -एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सहिष्णुता, धैर्य और दूसरों का सम्मान जैसे मूल्यों का पालन करना आवश्यक है. -ये मूल्य प्रत्येक भारतीय के हृदय और मस्तिष्क में रहने चाहिए. -हमारा लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है; फिर भी जो लोकतंत्र हम चाहते हैं वह अधिक हो, कम न हो. -हमारे लोकतंत्र की मजबूती यह है कि 2014 के आम चुनाव में 66% से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया. -हमारे लोकतंत्र का विशाल आकार हमारे पंचायती राज संस्थाओं में आयोजित किए जा रहे नियमित चुनावों से झलकता है. -हमारे विधाननिर्माता सत्र में व्यावधान के कारण अहम मुद्दों पर बहस नहीं कर पाते और विधान नहीं बना पाते. -बहस, परिचर्चा और निर्णय पर पुनःध्यान देने के सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए. -हमारे गणतंत्र के 68वें वर्ष में प्रवेश करने के दौरान हमारी प्रणालियां श्रेष्ठ नहीं है. -त्रुटियों की पहचान की जानी चाहिए और उनमें सुधार लाना चाहिए. -स्थायी आत्मसंतोष पर सवाल उठाने होंगे. -विश्वास की नींव को मजबूत बनाना होगा. -हमें और अधिक परिश्रम करना होगा क्योंकि गरीबी से हमारी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है. -हमारी अर्थव्यवस्था को अभी भी गरीबी पर तेज प्रहार करने के लिए दीर्घकाल में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करनी होगी. -हमारे देशवासियों का पांचवा हिस्सा अभी तक गरीबी रेखा से नीचे बना हुआ है. -गांधीजी का प्रत्येक आंख से हर एक आंसू पोंछने का मिशन अभी अधूरा है. -हमें अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए और परिश्रम करना होगा. -प्रकृति के उतार-चढ़ाव के प्रति कृषि क्षेत्र को लचीला बनाने के लिए और अधिक परिश्रम करना है. -हमें जीवन की श्रेष्ठ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हमारे ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करने होंगे. -युवाओं को और अधिक रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए अधिक परिश्रम करना है. -हमें अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक परिश्रम करना है. -महिलाओं को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने में सक्षम बनना चाहिए. -बच्चों को पूरी तरह से अपने बचपन का आनंद उठाने में सक्षम होना होगा. -हमें अपने उन उपभोग तरीकों को बदलने के लिए और अधिक परिश्रम करना है जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हुआ है. -हमें बाढ़, भूस्खलन और सूखे के रूप में, प्रकोप को रोकने के लिए प्रकृति को शांत करना होगा. -हमें बहुलवादी संस्कृति और सहिष्णुता की रक्षा के लिए और परिश्रम करना होगा. -ऐसी स्थितियों से निपटने में तर्क और संयम हमारे मार्गदर्शक होने चाहिए. -आतंकवाद की बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए और अधिक परिश्रम करना है, इनका दृढ़ व निर्यायक मुकाबला करना होगा. -हमारे हितों की विरोधी इन शक्तियों को पनपने नहीं दिया जा सकता. -हमें आंतरिक और बाह्य खतरों के रक्षक सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की बेहतरी के लिए और परिश्रम करना है. -हमें और अधिक परिश्रम करना है क्योंकि हम सभी अपनी मां के एक जैसे बच्चे हैं. -हमारी मातृभूमि हमसे अपनी भूमिका को निष्ठा, समर्पण और दृढ़ सच्चाई से निभाने के लिए कहती है.