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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर एक बार मोदी सरकार को चेताया है. इशारों-इशारों में कहा है कि असहिष्णुता से भारी नुकसान हो रहा है. प्रणब ने शनिवार को कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण ही भारत समृद्ध हुआ है. विविधता भारत की ताकत है और हमें हर कीमत पर इसकी रक्षा करनी है.
सरकार को को दिलाई इतिहास से वर्तमान तक की याद
मुखर्जी विज्ञान भवन में दिल्ली हाईकोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत तीन जातीय समूहों - भारोपीय, द्रविड़ और मंगोल के 1.3 अरब लोगों का देश है. यहां 122 भाषाएं और 1,600 बोलियां बोली जाती हैं. यहां सात धर्मों के अनुयायी हैं. प्रणब इससे पहले भी पीएम मोदी को सहिष्णुता का पाठ पढ़ा चुके हैं.
न्यायिक नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं
मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को रद्द किए जाने के मद्देनजर कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया स्थापित और पारदर्शी सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए. कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. उन्होंने न्यायपालिका से आत्मावलोकन और आत्म सुधार के जरिए खुद में नयापन लाने को कहा. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ‘स्वायत्त’ है और लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है.