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हाइफा के डोर बीच पर मोदी ने नेतन्याहू संग पिया समंदर का फिल्टर्ड पानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार की सुबह येरूशलम से हेलिकॉप्टर के जरिए नेतन्याहू के साथ हाइफा पहुंचे. दोनों नेताओं ने यहां पहले विश्व युद्ध में हाइफा को आजाद कराने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 44 भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि दी.

हाइफा के डोर बीच पर नेतन्याहू के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाइफा के डोर बीच पर नेतन्याहू के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नंदलाल शर्मा
  • हाइफा (इजरायल),
  • 06 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

हाइफा में भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने समकक्ष नेतन्याहू के साथ डोर बीच पहुंचे. इस दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू खुद ही गाड़ी को ड्राइव कर रहे थे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बगल में बैठे हुए थे. डोर बीच पर बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोबाइल वॉटर फिल्ट्रेशन से रूबरू कराया. दोनों नेताओं ने अन्य अधिकारियों के साथ फिल्टर किया हुआ पानी भी पिया.

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इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार की सुबह येरूशलम से हेलिकॉप्टर के जरिए नेतन्याहू के साथ हाइफा पहुंचे. दोनों नेताओं ने यहां पहले विश्व युद्ध में हाइफा को आजाद कराने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 44 भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि दी.

मोदी ने अपने इस्राइल दौरे के आखिरी दिन इस स्मारक का दौरा किया. स्मारक पर जाने से पहले मोदी ने कहा, 'यह उन 44 भारतीय सैनिकों की अंतिम विश्रामस्थली है जिन्होंने प्रथम युद्ध के दौरान शहर को आजाद कराने के लिये अपनी जान न्यौछावर कर दी.' भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को दो बहादुर इंडियन कैवलरी रेजिमेंट के सम्मान में हाइफा दिवस मनाती है.

इस रेजिमेंट की 15वीं इंपीरियल सर्वसि कैवलरी ब्रिगेड ने शानदार घुड़सवारी का जौहर दिखाते हुये शहर को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी. 1918 के पतझड़ में भारतीय ब्रिगेड संयुक्त बलों का हिस्सा थी जो फलस्तीन के उत्तर से दुश्मनों का सफाया कर रही थीं.

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इस अभियान को इतिहास के आखिरी महान घुड़सवार अभियान के तौर पर देखा जाता है. कैप्टन अमन सिंह बहादुर और दफादार जोर सिंह को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट (आईओएम) से सम्मानित किया गया जबकि कैप्टन अनूप सिंह और सेकंड लेफ्टिनेंट सागत सिंह को युद्ध में उनकी बहादुरी के लिये मिलिट्री क्रॉस प्रदान किया गया.

शहर को आजाद कराने में अहम भूमिका के लिये मेजर दलपत सिंह को हीरो ऑफ हाइफा के तौर पर जाना जाता है. उन्हें उनकी बहादुरी के लिये मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया.

हाइफा नगरपालिका ने भारतीय सैनिकों के बलिदान को अमर करने के लिये वर्ष 2012 में उनकी बहादुरी के किस्सों को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया था. करीब 402 सालों की तुर्कों की गुलामी के बाद शहर को आजाद कराने में भारतीय सेना की भूमिका को याद करते हुये नगरपालिका ने हर वर्ष एक समारोह के आयोजन का भी फैसला किया था.

 

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