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मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूल अब मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे. इसके लिए विधानसभा में 4 दिसंबर, 2017 को मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल (फीस और संबंधित विषयों का रेगुलेशन) विधेयक-2017 पेश किया गया.
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने विधेयक पेश करते हुए कहा, 'विधेयक के प्रभावी होने पर पूर्णत: आवासीय और धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों को छोड़कर शेष सभी प्राइवेट स्कूल इसके दायरे में आएंगे. फीस में वृद्धि का रेगुलेशनइस प्रकार किया जाएगा कि उस वर्ष के वार्षिक खर्च पर प्राप्तियों का आधिक्य, जिस वर्ष के लिए फीस प्रस्तावित है, वार्षिक प्राप्तियों का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा.
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विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, स्कूल प्रबंधन के ओर से बीते वर्ष के लिए नियत फीस के 10 प्रतिशत की सीमा तक फीस वृद्धि की जा सकेगी, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट के ओर से यदि पिछले वर्ष की फीस की तुलना में फीस वृद्धि 10 से 15 प्रतिशत प्रस्तावित हो तो ऐसे प्रस्ताव को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला समिति अधिकृत करेगी.
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लगेगा भारी जुर्माना
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक विधेयक(बिल) के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों से संबंधित अन्य विषय जैसे कि पाठ्यपुस्तकें, लेखन सामग्री, पढ़ने की सामग्री, स्कूल बैग, यूनिफॉर्म, स्टू़डेंट्स के लिए परिवहन प्रदान करना और सभी ऐसे विषय, जो स्टू़डेंट या उनके माता-पिता या अभिभावक के ओर से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से प्राइवेट स्कूलों को धनराशि देने का कारण बने, इसके बारे में आवश्यक प्रावधान किया गया है.
मध्य प्रदेश में मनमानी फीस नहीं बढ़ा सकेंगे प्राइवेट स्कूल
विधेयक के मुताबिक, जिला समिति यदि यह पाती है कि निर्धारित फीस से अधिक फीस ली गई है तो वह प्राइवेट स्कूल के प्रबंधन को उन छात्रों को फीस वापस करने के निर्देश देगी और इसके अतिरिक्त दो लाख रुपये तक की पेनल्टी लगाई जाएगी.