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पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर सरकारों की कमजोर प्लानिंग से बढ़ा प्रदूषण

देश की राजधानी में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार और एजेंसियां नाकाम नजर आ रही हैं. ऑड इवन रद्द करने के बाद दिल्ली सरकार के सामने कमजोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना एक सबसे बड़ी चुनौती है.

दिल्ली में बढ़ रही है निजी गाड़‍ियो की संख्या दिल्ली में बढ़ रही है निजी गाड़‍ियो की संख्या
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST

देश की राजधानी में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार और एजेंसियां नाकाम नजर आ रही हैं. ऑड इवन रद्द करने के बाद दिल्ली सरकार के सामने कमजोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना एक सबसे बड़ी चुनौती है.

हैरानी भरे आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में शहर के अंदर लगातार बढ़ते प्रदूषण के बावजूद दुपहिया और 4 पहिया वाहनों की संख्या को कम करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. NGT कोर्ट में प्रदूषण को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान खराब परिवहन इंतजाम पर केंद्र सरकार, केजरीवाल सरकार और दिल्ली से संबंधित सभी एजेंसियों को हर साल फटकार लगाई जाती है, लेकिन आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो स्तिथि बेहद दयनीय है.

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक :-

1. दिल्ली में क्लस्टर और डीटीसी बसों की संख्या लगभग 5500 है.  यहां आम आदमी पार्टी सरकार अपनी सत्ता के दौरान 700 बसें बढ़ाने में ही कामयाब हो पाई है.  

2. इन बसों में रोजाना 33 लाख के आसपास यात्री सफर करते हैं.  बसों की खस्ता हालत पर भी एनजीटी सरकार को फटकार लगा चुकी है.

3. आंकड़ों के मुताबिक बीते करीब चार साल में डीटीसी बसों की संख्या बढ़ने के बजाए 1500 बसें घट चुकी हैं.

4. दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो का 140 किलोमीटर का जाल बिछ चुका है. मौजूदा वक्त में तीसरे फेज के अंतर्गत 157 किलोमीटर मेट्रो की लाइन बिछाई जानी है.

5. हालांकि तीसरा फेज जोकि दिसंबर 2016 तक पूरा होना था, जून 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है.  डीएमआरसी के मुताबिक फेज 3 में महज 22 किलोमीटर ही तैयार हो सकी है.

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6. दिल्ली मेट्रो में रोजाना 25 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं.  मेट्रो में तकनीकी खराबी की समस्या बेहद आम बात हो गई है.

7. दिल्ली में टैक्सियों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है, जबकि सीएनजी से चलने वाले ऑटो रिक्शा का आंकड़ा 85 हजार है. कोर्ट अक्सर ऑटो रिक्शा की संख्या को 1 लाख तक बढ़ाने की बात भी कह चुका है.

8. सिर्फ डीटीसी बसों की बात करें तो साल 2012-13 में हर रोज 46 लाख 77 हजार लोग सफर करते थे. साल 2016 में डीटीसी बसों से हर रोज सफर करने वालों का आंकड़ा 43 लाख था, लेकिन इस साल 2017 में यह आंकड़ा महज 25 लाख रह गया है.

9. वहीं, दिल्ली मेट्रो में साल 2015 तक रोज तकरीबन 28 लाख लोग सफर करते थे. लेकिन पहले मई और फिर अक्टूबर 2017 में किराया बढ़ने के बाद मेट्रो में रोजाना सफर करने वालों की संख्या 25 लाख तक सिमट गई है.

10. आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में साल 2016 तक रजिस्टर हुए तमाम वाहनों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है.

दिल्ली में करीब 20 लाख लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को छोड़कर निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, जो प्रदूषण के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है.  11 नवंबर को एनजीटी कोर्ट में डीपीसीसी के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि दो पहिया और डीज़ल गाड़ियां पेट्रोल की गाड़ियों से ज्यादा प्रदूषण करती हैं. वायु प्रदूषण में दो पहिया वाहन कुल 30% योगदान रहता है, जो सबसे ज्यादा हानिकारक गैसे फैलाते हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 2 पहिया वाहनों की संख्या 66 लाख और 4 पहिया वाहनों आंकड़ा 30 लाख को पार कर चुका है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का हाल सिर्फ डीटीसी बसों के लेवल पर ही नहीं चरमरा रहा है, बल्कि मेट्रो को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.  इसके लिए केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारें जिम्मेदार नजर आती हैं.

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