Advertisement

झारखंड के कई ग्रामीण इलाकों में लगा है जनता कर्फ्यू

दरअसल ग्रामीण सरकारी योजनाओं के धरातल पर नहीं उतरने से खफा हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
धरमबीर सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

झारखंड के कुछ जिलों के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जनता कर्फ्यू लगा है. इन इलाकों में लोगों ने बाकायदा बोर्ड लगाकर बाहरी व्यक्तियों और सरकारी कर्मियों का आना आना रोक रखा है.

इतना ही नहीं ग्रामीणों ने बोर्ड में धारा 244 (1) का उल्लेख करते हुए लिखा है कि बिना ग्राम सभा के अनुमति के किसी भी सरकारी/गैर सरकारी कर्मचारी/पदाधिकारी का प्रवेश वर्जित है. दरअसल ग्रामीण सरकारी योजनाओं के धरातल पर नहीं उतरने से खफा हैं. दूसरी तरफ उद्योगों के जमीन के वास्ते दलाल भोले-भाले ग्रामीणों को फुसला कर आने-पौने दामों में जमीन का सौदा करने में लगे हैं.

Advertisement

पुलिस की गश्त बढ़ाई गई

झारखंड के गुमला जिले के एक गांव की सीमा के बाहर लगे इस बोर्ड पर नजर दौड़ाइए. इसमें साफ़ शब्दों में चेतावनी दी गई है कि बिना ग्राम सभा की अनुमति के सरकारी या गैर सरकारी कर्मचारियों का प्रवेश निषेध है. दरअसल ग्रामीणों की नाराजगी की वजह जमीन के दलाल हैं, जो जमीन के लिए आदिवासियों को बरगला रहे हैं.  यही हाल खूंटी जिले का भी है जहां ग्रामीणों ने इसी आशय का बोर्ड लगा रखा है. यहां तो बीते दिनों ग्रामीणों ने पुलिस के अधिकारियों को कुछ समय के लिए बंधक भी बनाया था. खूंटी के भंडरा पंचायत, सिलादोन पंचायत, कांकी, हेसाहातू, गुटुवा, लांदुप, मुरही पंचायत, डोकाड़, चामड़ी, चिकोर, तिलमा समेत करीब 42 ऐसे पंचायत हैं, जहां ऐसे बोर्ड ग्रामीणों ने लगाए हैं. ऐसे में स्थिति इतनी तनावपूर्ण है की यहां पुलिस की गस्त बढ़ा दी गई है.   

Advertisement

पत्थलगड़ी की आड़ में साजिशें

पुलिस के आला अधिकारी इस सम्बन्ध में कुछ और ही दलीलें पेश करते हैं. उनका कहना है कि जिन इलाकों में ऐसे बोर्ड लगाए गए हैं, वे काफी दूर-दराज के हैं, इन जगहों पर नक्सली और दूसरे असामाजिक तत्व अफीम की खेती करवाने में लगे हुए हैं. ऐसे में इन्होंने पत्थलगड़ी का सहारा लिया है. वहीं ग्रामीण भी अफीम से होने वाले मुनाफे की वजह से इनका साथ देते हैं. वहीं, इलाके के विधायक झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का कहना है कि पत्थलगड़ी दरअसल एक प्राचीन परंपरा है, लेकिन इन दिनों कुछ शरारती तत्व भोले भाले ग्रामीणों को बरगला कर सरकार विरोधी दुष्प्रचार में जूटे हैं.

आखिर क्या है पत्थलगड़ी?

पत्थलगड़ी आदिवासियों की एक प्राचीन परंपरा है. इसमें पत्थर गाड़ कर इलाके को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है. यहां बिना ग्राम सभा की अनुमति के किसी भी दूसरे व्यक्ति का प्रवेश वर्जित नहीं होता.

वैसे झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी पत्थलगड़ी आदिवासी करते आ रहे हैं, लेकिन झारखंड में ख़ुफ़िया विभाग भी मानना है कि पत्थलगड़ी की आड़ में साजिशें रची जा रही हैं. वैसे खूंटी में पुलिस अधिकारियों को बंधक बनाने के सिलसिले में कांकि इलाके के ग्राम प्रधान को गिरफ्तार किया गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement