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पुणे: लड़के की चाहत में नवजात को किया जिंदा दफन, 8 के खिलाफ केस दर्ज

चौबीस साल की प्रियंका लोणकर का कहना है कि वह किसी न किसी बहाने सोनोग्राफी को टालती रहीं. लेकिन एक दिन उनके पति महेंद्र लोणकर और सास-ससुर ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी और बारामती से पैतीस किलोमीटर दूर मालवाड़ी के छोटे अस्पताल ले गए.

पीड़ि‍त महिला प्रियंका लोणकर पीड़ि‍त महिला प्रियंका लोणकर
स्‍वपनल सोनल/पंकज खेळकर
  • पुणे ,
  • 26 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए बनाए गए पीएनडीटी कानून के बावजूद लगातार इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. ताजा मामला महाराष्ट्र के बारामती तालुका का है जहां एक हैवान ने लड़के की चाहत में पहले तो अपनी पत्नी का तीन बार प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाया, वहीं जब बच्ची पैदा हुई तो नवजात को जिंदा दफ्न कर दिया. मामले में महिला ने अपने पति, ससुराल वालों और डॉक्टर के खिलाफ भी केस दर्ज करवाया है.

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चौबीस साल की प्रियंका लोणकर का कहना है कि वह किसी न किसी बहाने सोनोग्राफी को टालती रहीं. लेकिन एक दिन उनके पति महेंद्र लोणकर और सास-ससुर ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी और बारामती से पैतीस किलोमीटर दूर मालवाड़ी के छोटे अस्पताल ले गए. यहां फिर से सोनोग्राफी की गई.

वह बताती हैं, 'मेरी शादी 2010 हुई. 2012 में मैंने एक बच्ची को जन्म दिया. चार साल तक सब ठीक था, लेकिन पिछले एक साल में तीन बार मेरे पति ने मेरा सोनोग्राफी करवाया. जब उसे पता चलता कि मेरे गर्भ में लड़की है, वो मुझे जबरन एबॉर्शन करवाने ले जाता. मेरी सास-ससुर भी इसमें उनका साथ देते. मेरे मना करने पर वो मुझे मारते थे.'

गाड़ी की डिक्की में डालकर ले गए बच्ची को
प्रियंका ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उस दिन पट्टी बांधकर डॉक्टर के पास ले जाने के बाद उन्हें दूध में दवाई डालकर पिलाई गई. मना करने पर पीटा गया. फिर दो दिनों बाद एबॉर्शन करवाया गया. बच्ची जिंदा थी. पति और ससुर ने उस नवजात को गाड़ी के डिक्की में डालकर खेत में ले जाकर दफना दिया.

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प्रियंका को मिला महिला भूमाता ब्रिगेड का साथ
प्रियंका के दर्द को देखते हुए महिला भूमाता ब्रिगेड ने उनकी लड़ाई में साथ देने का फैसला किया है. यह तृप्ति देसाई से अलग हुआ महिला संघटन है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 498ए, 323, 313, 504, 506 और 34 के तहत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.' वडगाव निंबाळकर पुलिस थाने के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन पाटिल कहते हैं, 'पुलिस ने बहुत ही तत्परता से मामले की गंभीरता को समझा और मामले की छानबीन शुरू कर दी है.' बताया जाता है कि मामले की छानबीन के लिए दो पुलिस दस्तों को रवाना किया गया है.

प्रसव पूर्व लिंग जांच की धारा एफआईआर में नहीं
दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में प्रसव पूर्व लिंग जांच तकनीकी अधिनियम-1994 की धारा को FIR में शामिल नहीं किया गया है. बताया जाता है‍ कि आरोपी एक नगर सेवक है और उसी की ऊंची पहुंच के कारण पुलिस तफ्तीश में ढिलाई कर रही है. भूमाता ब्रिगेड की महिला कार्यकर्ताओं की मांग है कि सभी दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

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