
पंजाब की पूर्व अकाली-बीजेपी सरकार पर प्रदेश में अवैध खनन माफिया खड़ा करने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस ने सरकार बनते ही खनन माफिया को खत्म करने के दावे किए थे. कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की तमाम रेत की खानों के टेंडर जारी किए है और वादा किया कि टेंडर्स देने में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी, लेकिन रेत की खानों की नीलामी में एक हैरान करने वाली बात सामने आई है.
पंजाब के बिजली और सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत के खानसामे अमित बहादुर ने 26 करोड़ 51 लाख रुपए की ऑनलाइन बोली लगाकर रेत की खान का लाइसेंस हासिल कर लिया. हैरानी की बात ये है कि राणा गुरजीत के घर पर खाना बनाने वाला अमित बहादुर नेपाल का रहने वाला है और चंद हजार रुपए की नौकरी करता है.
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कैसे इस साधारण से आदमी ने 26 करोड़ रुपए से ज्यादा की बोली लगाकर रेत की खान का लाइसेंस हासिल कर लिया.
बोली लगाकर गायब हो गए लोग!
बता दें कि पंजाब सरकार ने 19 और 20 मई को 89 रेत खनन खानों की नीलामी की थी और 1000 करोड़ से ज्यादा की रिकॉर्ड आमदनी इन रेत की खानों से करने का दावा किया गया. इस ऑनलाइन बोली में शामिल होने वाले लोगों में से करीब 50% लोग या तो बोगस निकले या फिर भारी भरकम बोली लगाकर अचानक से गायब हो गए.
आरोप है कि पंजाब सरकार के बिजली और सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत की कंपनी राणा शुगर के 3 कर्मचारियों ने इस नीलामी में रेत की खानों के कॉन्ट्रैक्ट लाइसेंस हासिल कर लिए हैं. इस पूरे विवाद पर मंत्री राणा गुरजीत ने गोलमोल जवाब दिया और कहा कि अमित बहादुर नाम का खानसामा पहले उनके यहां पर काम किया करता था, लेकिन अब उनके ही एक और दोस्त के घर पर वह काम करता है.
राणा गुरजीत ने की पल्ला झाड़ने की कोशिश
राणा ने कहा कि उनका ये दोस्त भी बोली लगाने वालों में शामिल था इसलिए उन्हें जानकारी नहीं है कि बोली अमित बहादुर के नाम पर लगी या किसी और व्यक्ति के नाम पर. राणा गुरजीत ने इस पूरे विवाद से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि ऐसा पहली बार पंजाब में हो रहा है कि जब सरकार की पहल के बाद रेत की खानों से इतना भारी भरकम रेवेन्यू राज्य सरकार को मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि अगर एक खानसामे को इतना बड़ा कॉन्ट्रैक्ट लाइसेंस हासिल हो जाता है तो ये दिखाता है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने तमाम आम आदमियों को इस ऑनलाइन बोली में शामिल होने का मौका दिया. अगर कोई आम व्यक्ति इतना बड़ा कॉन्ट्रैक्ट लाइसेंस लेकर आगे बढ़ना चाहता है तो इसमें हर्ज ही क्या है.
खानसामे को कहां से मिली करोड़ों की फीस
हालांकि राणा गुरजीत इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि एक मामूली खानसामा रेत की खान का कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद लाइसेंस फीस के रूप में जमा की जाने वाली करोड़ों की फीस को कहां से जमा करवा पाया है.
AAP ने घेरा कांग्रेस को
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की पंजाब सरकार को इस पूरे मामले में घेरते हुए कहा कि पहले अकाली-बीजेपी सरकार ने खनन माफिया के सहारे इस पूरे सरकारी बिजनेस पर अपना कब्जा जमा रखा था. और अब कांग्रेस भी वही काम कर रही है. तमाम सरकारी व्यापारों पर कांग्रेसी नेताओं का ही वर्चस्व फैलाने की कोशिश की जा रही है.
आम आदमी पार्टी के पंजाब के सीनियर लीडर सुखपाल खैहरा ने कहा कि मंत्री राणा गुरजीत की कंपनी ने करोड़ों की बोली लगाकर जिस तरह से रेत की खानों के कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए हैं. वो ये दिखाता है की कांग्रेस के नेता और मंत्री अपने गुर्गों के नाम पर तमाम सरकारी बिजनेस पर अपना ही अधिकार रखना चाहते हैं. आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले को उठाते हुए मंत्री राणा गुरजीत के इस्तीफे की मांग भी की.
अकालियों के निशाने पर कांग्रेस
अकाली दल ने भी पंजाब की कांग्रेस सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि सिर्फ दिखावे के लिए नीलामी करके रेत की खानों की नीलामी की गई है, जबकि नीलामी में मोटी बोली लगाने वाले और लाइसेंस हासिल करने वाले कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों से ही जुड़े लोग हैं.
एच सी अरोड़ा ने ED को लिखी चिट्ठी
वहीं पहले से ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में राणा गुरजीत के खिलाफ मंत्री पद पर रहते हुए अपनी कंपनी से सरकार को बिजली बेचने के मामले में जनहित याचिका लगाने वाले एडवोकेट एच सी अरोड़ा ने भी इस मामले में ED को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने इस पूरे मामले और रेत खानों की नीलामियों की जांच कराने की अपील की है.
एच सी अरोड़ा के मुताबिक सरकार ने रेत की खानों की जो नीलामी की है, उसमें राणा गुरजीत ने अपनी कंपनी के मुलाजिमों के माध्यम से रेत की खानों के कॉन्ट्रैक्ट लाइसेंस हासिल कर लिए हैं और ये पूरा मामला पद के दुरुपयोग का बनता है.
सरकार की मंशा पर सवाल
सरकार में आने के बाद से ही कांग्रेस ये दावा कर रही थी कि पंजाब में तमाम सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स और बिजनेस में राजनीतिक लोगों का इंटरफेरेंस खत्म किया जाएगा. सरकारी टेंडरों और कॉन्ट्रैक्ट के लाइसेंसों को पंजाब की आम जनता के बीच ही बांटा जाएगा, लेकिन अब जिस तरह से रेत की खानों की नीलामी में राणा गुरजीत के कर्मचारियों के नाम सामने आ रहे हैं उससे सरकार की मंशा पर सवाल उठना लाजमी है.