
जहरीली शराब कांड के बाद हरकत में आया पंजाब पुलिस प्रशासन इस कारोबार से जुड़े लोगों के अड्डों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रहा है. अब तक 40 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 8000 लीटर से ज्यादा केमिकल और सवा लाख लीटर (1.25 लाख) से अधिक देसी शराब बरामद की जा चुकी है.
इस मामले में अब तक जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनमें से ज्यादातर देसी शराब बनाने वाले हैं. जबकि ज्यादातर लोग जहरीले केमिकल से बनी शराब पीकर मरे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि पंजाब पुलिस अवैध शराब के कारोबार में कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता के चलते उन पर हाथ डालने से डर रही है.
यही कारण है कि अभी तक जहरीली शराब बनाने में प्रयुक्त होने वाले एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल और मिथाइल अल्कोहल के असली स्त्रोत तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई गई. जांच में सामने आया है कि जहरीली शराब एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल से बनाई जाती है जिसे शराब के कारखाना मालिक अवैध तरीके से बेच देते हैं. क्योंकि पंजाब में चल रहे दो बड़े शराब के कारखाने कांग्रेसी नेताओं से संबंधित हैं इसलिए पुलिस की कार्रवाई सिर्फ देसी शराब बनाने वालों और कुछ केमिकल का व्यापार करने वाले लोगों तक ही सीमित है.
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अकाली दल का आरोप है कि पंजाब के शराब कारोबारियों ने अवैध शराब बेचकर न केवल सरकार के राजस्व को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाया बल्कि लॉकडाउन और उसके बाद जमकर चांदी कूटी. पार्टी प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा के मुताबिक जो पुलिस कांग्रेसी नेताओं के अवैध शराब के ट्रकों को एस्कॉर्ट करती हो उससे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती.
अकाली दल और भाजपा नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर कांग्रेस नेताओं पर हाथ नहीं डाल रही क्योंकि इससे नेताओं का कच्चा चिट्ठा खुल जाएगा.
गुजरात और बिहार तक की जाती है तस्करी
पंजाब में अवैध शराब के कारोबार का टर्नओवर हजारों करोड़ रुपये है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार को सालाना 5600 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हो रहा है.
पंजाब के शराब कारोबारी अवैध शराब बेचकर जमकर चांदी कूट रहे हैं. एक तरफ जहां लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पर पंजाब के घर-घर तक अवैध शराब पहुंचाई गई वहीं काफी अरसे से शराबबंदी वाले राज्य बिहार और गुजरात में भी अवैध शराब पहुंचाई जा रही है.
गुजरात और बिहार में शराबबंदी लागू होने का सीधा सा फायदा पंजाब के शराब तस्करों और शराब कारखाना मालिकों ने उठाया है. लॉकडाउन के दौरान करोड़ों रुपये की अवैध शराब न केवल पंजाब और हरियाणा में बल्कि गुजरात और बिहार तक पहुंचाई गई.
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- हाल ही में हरियाणा के होडल जिला पुलिस की अपराध जांच शाखा ने नेशनल हाइवे पर पंजाब से बिहार जा रहे दो कंटेनरों को रुकवाया तो उसमें से 45 लाख रुपये की अवैध शराब बरामद की गई. पुलिस का दावा है कि यह खेप पंजाब से बिहार भेजी गई थी.
-13 जुलाई 2020 को पंजाब से बिहार जा रही 162 पेटी अंग्रेजी और 40 पेटी बियर की खेप को उत्तर प्रदेश पुलिस ने भदोही में पकड़ा. यह शराब सिर्फ पंजाब में ही बेची जा सकती थी. पुलिस ने ट्रक से परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया था जो लुधियाना का रहने वाला था.
-18 मई 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुल्तानपुर में ट्रक सवार दो तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 40 लाख रुपये कीमत की 425 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की. ये शराब पंजाब से बिहार जा रही थी. इस मामले में जसविंदर सिंह और परमजीत सिंह नाम के दो लोग गिरफ्तार हुए थे. सूत्रों के मुताबिक यह शराब मोहाली से बिहार जा रही थी.
-28 फरवरी 2020 को राजस्थान की उदयपुर पुलिस ने पंजाब से गुजरात भेजी जा रही एक करोड़ रुपये की 1216 पेटी शराब एक ट्रक से बरामद की थी.
पंजाब सरकार ने जहरीली शराब पीकर हुई मौतों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. इससे पहले पंजाब में राजस्व घाटे के लिए कारणों का पता चलाने के लिए भी जांच बिठाई गई थी. इसके अलावा पुलिस को हिदायत दी गई है कि वह शराब के कारखानों में जाकर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल के स्टॉक का पता लगाए.
लेकिन सरकार की जांच विपक्षी दलों के गले में नहीं उतर रही है. विपक्षी पार्टी के नेताओं का मानना है कि जांच समिति और एसआईटी महज खानापूर्ति है क्योंकि सरकार कांग्रेस के नेताओं को बचाना चाहती है.
कांग्रेस ने किया विपक्ष के आरोपों को खारिज
उधर पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने अकाली दल और भाजपा के नेताओं के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया है कि सरकार गुण दोष के आधार पर कार्रवाई कर रही है और नेताओं को बचाने के आरोप निराधार हैं. कांग्रेस प्रवक्ता डॉ राजकुमार वेरका के मुताबिक शराब के कारोबार में खुद अकाली दल के नेता भी शामिल हैं.
अकाली दल और कांग्रेस के नेता भले ही परस्पर विरोधी बयान दें लेकिन सच यही है जहरीली शराब बनाने में प्रयुक्त एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल शराब के कारखाना मालिकों द्वारा ही बेचा जाता है.
अभी तक एक भी डिस्टलरी के मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना इस बात का सबूत है कि सरकार असली गुनहगारों पर पर्दा डालना चाहती है.
विपक्ष सिर्फ इसीलिए सीबीआई जांच की मांग कर रहा है ताकि असली गुनहगारों के चेहरे सामने आए और उनके द्वारा अवैध शराब बेचकर अर्जित किए गए धन की जानकारी भी मिले, लेकिन फिलहाल ऐसा संभव नहीं लगता.