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झारखंड: 'रघु-कुल रीति सदा चली आई... काम के बखान में लगे पोस्टर्स!

रामायण के इस प्रसिद्ध दोहे की होर्डिंग्स को आजकल रांची के शहर में आम तौर पर हर बड़े चौक-चौराहों या सड़कों पर देखा जा सकता है. जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने सरकार की उपलब्धियों का बखान कुछ इस अंदाज में करते नज़र आ रहे हैं.

रघु-कुल रीति सदा चली आई का पोस्टर रघु-कुल रीति सदा चली आई का पोस्टर
धरमबीर सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2017,
  • अपडेटेड 11:43 PM IST

रामायण के इस प्रसिद्ध दोहे की होर्डिंग्स को आजकल रांची के शहर में आम तौर पर हर बड़े चौक-चौराहों या सड़कों पर देखा जा सकता है. जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने सरकार की उपलब्धियों का बखान कुछ इस अंदाज में करते नज़र आ रहे हैं. मानो झारखण्ड में रामराज्य आ गया हो. इसमें रामायण के दोहे 'रघु-कुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई' को दर्शाते हुए यह कहा गया है कि झारखण्ड की सरकार के दौरान किये गए वादों को उन्होंने मात्र दो महीनों में धरती पर उतार दिया है. जिससे राज्य में खुशहाली आएगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

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वैसे तो प्रशासन में पारदर्शिता की बातें होती है लेकिन कोई अगर कमिटमेंट हो जाए तो मामले को कैबिनेट तक की मंजूरी मिल जाती है. ऐसे कई उदहारण है, हाल ही में सरकार ने बीते 42 माह से पब्लिक रिलेशन और इमेज बिल्डिंग का काम देख रही, दो कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट आनन-फानन में कैंसिल करके एक ऐसी कंपनी को काम के लिए चुन लिया है जो महज 13 महीने पुरानी हैं.

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अगर इस कंपनी के प्रोफाइल पर नजर डालें तो यह कंपनी महज 13 महीने पुरानी है. और पूंजी भी महज एक लाख रुपये है, लेकिन नियमों में ढील देकर बिना टेंडर किये इस कंपनी को साढ़े 14 करोड़ का काम दे दिया गया. मजे की बात यह है कि इस कंपनी का कोई ऑफिस भी नहीं है. वहीं कहा जा रहा है कि कंपनी दिल्ली के एक फ्लैट में चल रही है. हद तो ये है कि इस फ्लैट से दो और कम्पनियां भी चलाई जा रही है. इन दोनों राज्यों में बिगड़ती कानून व्यवस्था और आदिवासियों के विरोध जैसे मुद्दों की वजह से रघुवर सरकार की किरकिरी हो रही है. जो कि इस सरकार के कान में जुं तक नहीं रेंग रही है, ऐसे में इस नयी कंपनी के चयन से क्या पार्टी अपनी सरकार की साख बचा पायेगी, यह एक बड़ा सवाल है.

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