
2014 की बड़ी हार के बाद कांग्रेस पार्टी लगातार यह सोचने को मजबूर हो गई कि भविष्य में कैसे वापसी होगी. बीजेपी नारा देने लगी कि भारत कांग्रेस मुक्त होगा. इसी बीच खबरें आने लगीं कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद राहुल गांधी छुट्टी पर चले गए. तमाम बातें हुई लेकिन तकरीबन सवा 2 साल बाद राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में बता दिया कि वह छुट्टी पर नहीं बल्कि विपश्यना करने गए थे.
राहुल बोले- शुरू में लगा मुझे बेवकूफ बना दिया
राहुल ने कहा, जब मैं 26 साल का था तब मैं पहली बार विपश्यना करने बर्मा गया था शुरुआती 3 दिनों में मुझे लगा कि मुझे बेवकूफ बना दिया गया. लेकिन छोड़कर जाने से पहले मैंने जाना और माना कि सब के बारे में सोचने
के अलावा आपको दिन में 5-10 मिनट खुद के बारे में सोचना चाहिए, तभी आप देश के विकास के बारे में रणनीति तय कर पाएंगे. जिसके बाद मैंने फिर अपनी बात को भुला दिया और कोर्स पूरा किया. राहुल बोले कि अपने बारे में
सोचने की बात थी जिसने मुझे वापस विपशयना की तरफ भेज दिया और आहिस्ता आहिस्ता मैं विपश्यना का मुरीद हो गया.
राहुल ने कहा, 'मैं आपको बताता हूं आखिरी बार जब मैं विपश्यना के लिए गया तो मैं असमंजस में था. सोचा कि 2014 में बड़ी हार की वजह राहुल गांधी है, ये जानकर मानसिक तनाव हुआ. सिर्फ यही सोचता रहा कि क्या मेरी राजनीति गलत है, लेकिन फिर जवाब में राहुल बोले-जब मैं विपश्यना करने बर्मा गया और मैंने वहां पूछा कि मैं असमंजस में हूं क्या करूं, जवाब आया बहुत दिन से न विपश्यना की है न तपस्या की है इसलिए आप असमंजस में है.'
26 साल की उम्र में विपश्यना की शुरुआत
कांग्रेस के सूत्र कहते हैं कि जब राहुल गांधी 2014 की बड़ी हार के बाद विदेश यात्रा पर गए थे और कहा गया था कि वह छुट्टी पर है. वह क्या कर रहे हैं कोई नहीं जानता. उसी वक्त का खुलासा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वह
बर्मा में विपश्यना कर रहे थे. आज से 20 साल पहले 26 साल की उम्र में राहुल गांधी ने विपश्यना की शुरुआत की थी तब राहुल शुरुआत में छोड़कर भागना चाहते थे, लेकिन खुद पर सोचने की अवधारणा की नसीहत ने उनको रोक.
बाद में 2014 की सियासी बड़ी हार के बाद राहुल क्या बोलना चाहते थे?
इसलिए बदले-बदले दिख रहे हैं कांग्रेस उपाध्यक्ष
विपश्यना के बाद राहुल ने खुद तय किया कि मैं नहीं जो मैंने भारतीय राजनीति और भारतीय जनता के लिहाज से तय कर रखा था उसमें जमीनी हकीकत को इस्तेमाल करके आगे बढ़ो. इसी के बाद राहुल कार्यक्रम कर रहे हैं, बदले
बदले से दिख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं.