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राहुल एक योद्धा! तो ये है मजबूत माइंडसेट और फिटनेस का राज

राहुल ना झुकने वाले योद्धा की तरह राजनीति के रण में लगातार डटे हैं. इस सच्चाई के बावजूद कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद कई समीक्षकों ने उन्हें राजनीति से तौबा करने की सलाह तक दे डाली थी. लेकिन ये 2014 नहीं 2017 है. क्या राहुल के लिए भी स्थितियां बदल रही हैं?

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
सुप्रिया भारद्वाज/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST

राजनीति विरासत में तो मिल सकती है लेकिन राजनीति में अपना खुद का मुकाम बनाने के लिए मेहनत भी जी-तोड़ करनी पड़ती है. ये बात कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से बेहतर और कौन समझ सकता है. इसे कुछ ऐसे भी कह सकते हैं..

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आखिर विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को झेलने के बाद भी राहुल को मैदान में लगातार डटे रहने का हौसला और शक्ति  कहां से मिलती है? इसका जवाब हाल में राहुल ने खुद ही दिया है. और वो है एकिडो.

एकिडो यानी जापानी मार्शल आर्ट का वो स्वरूप जिसे जीवन ऊर्जा से एकाकार होने का रास्ता कहा जाता है. एकिडो के राहुल गांधी से जुड़ाव से पहले थोड़ी नजर उनके अब तक के राजनीतिक सफर पर भी डाल ली जाए. 2004 में पहली बार अमेठी से सांसद बनने के बाद राहुल सक्रिय राजनीति में 13 साल का अर्सा पूरा कर चुके हैं. इस दौरान उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव भी देखे.

2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने इतिहास की सबसे बुरी चुनावी हार देखी, उसके बाद भी एक के बाद एक राज्य विधानसभा चुनावों में 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' को हार मिलती रही. लेकिन इतनी पराजयों के बावजूद विचलित हुए बिना राहुल राजनीति के पथ पर बढ़ते रहे हैं. इस मिशन और उम्मीद के साथ कि कांग्रेस को एक ना एक दिन उसका खोया हुआ जनाधार वापस मिलेगा. इस दौरान विरोधियों के राजनीतिक तीरों का भी वे लगातार सामना करते रहे. सोशल मीडिया पर राहुल को एक नाम विशेष देकर जितना उपहास उड़ाया गया, हाल फिलहाल में किसी और नेता के साथ वैसा होता नहीं दिखा.     

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राहुल ना झुकने वाले योद्धा की तरह राजनीति के रण में लगातार डटे हैं. इस सच्चाई के बावजूद कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद कई समीक्षकों ने उन्हें राजनीति से तौबा करने की सलाह तक दे डाली थी. लेकिन ये 2014 नहीं 2017 है. क्या राहुल के लिए भी स्थितियां बदल रही हैं? अब जहां उनके भाषणों में धार महसूस की जा रही है वहीं सोशल मीडिया पर भी उनके चुटीले कटाक्षों को पहले की तुलना में कहीं अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.

राजनीति के अग्निपथ पर आगे बढ़ने के लिए जिस मजबूत माइंडसेट और फिटनेस की जरूरत होती है, उसके लिए राहुल को मार्शल आर्ट एकिडो ने काफी हद तक मदद की है. ये और किसी का नहीं बल्कि उनके एकिडो गुरु का ही कहना है.

एकिडो में राहुल को दक्ष करने वाले उनके गुरु सेंसई पारितोष कर ने ‘आज तक’ से खास बातचीत में बताया कि किस तरह इस मार्शल आर्ट ने राहुल पर गहरी छाप छोड़ी. एकिडो में सिर्फ हाथ से ही नहीं बल्कि तलवार और चाकू का युद्ध कौशल भी सिखाया जाता है.   

सेंसई पारितोष के मुताबिक राहुल ने उनसे कहा, ‘एकिडो से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है, आप मेरे गुरु हो और मैं एकिडो को कभी नहीं छोड़ूंगा.’ राहुल के एकिडो गुरु का ये भी कहना है कि जिस तरह एकिडो एग्रेसिव (आक्रामक) नहीं है, उसी तरह राहुल भी आम जीवन में एग्रेसिव नहीं हैं.

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सेंसई पारितोष कहते हैं, ‘मैं और राहुल पहली बार 2009 में मिले और तभी से राहुल का एकिडो से साथ चला आ रहा है. हम नियमित अभ्यास करते हैं. अगले दो तीन महीने वे ज्यादा प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे. पहले मैं नियमित तौर पर उनके घर जाता था.’  

सेंसई पारितोष बताते हैं कि राहुल अपने दो और दोस्तों के साथ अपने ‘12 तुगलक लेन’ आवास पर एकिडो का अभ्यास करते हैं. कभी कभी इसे देखने के लिए उनकी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका भी आती हैं.

सेंसई पारितोष के मुताबिक 2013 में जापान से एकिडो मास्टर भारत आए थे और तब राहुल ने इम्तिहान दिया था . उस वक्त राहुल ने टेस्ट पास किया था और उनको ब्लैक बेल्ट मिली थी, राहुल जापान भी गए थे और वहां 10 दिन तक हेडक्वार्टर में इस मार्शल आर्ट से जुड़े कई गुर सीखे थे.

सेंसई पारितोष की कुल मिलाकर राहुल के बारे में यही राय है कि वे बहुत फिट इनसान है, स्पोर्ट्स में रूचि रखने के साथ खुद भी हर दिन एक घंटा स्पोर्ट्स को देते हैं. साथ ही मेंटल फिटनेस को बढ़ाने में एकिडो ने उनका अच्छा साथ दिया है.

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