
टॉयलेट सुविधा से लैस देश का पहला रेल इंजन अब ट्रैक पर उतर चुका है. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इसे दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने कहा कि बजट भाषण के महज 70 दिनों के अंदर यह काम पूरा होने का श्रेय रेलवे के हर कमर्चारी और अधिकारी को जाता है जिनके प्रयास से यह सफल हो पाया.
उन्होंने कहा कि रेल यात्रियों के साथ रेलवे स्टाफ की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. यह वैक्यूम टॉयलेट इसी दिशा में एक प्रयास है.
अभी इकलौता इंजन है
रेलवे अधिकारी बताते हैं कि टॉयलेट सुविधा से लैस यह इकलौता इंजन है. रेलवे के पास कुल 10,773 इंजन हैं. इनमें 5714 डीजल इंजन हैं.
लंबे समय से थी मांग
लंबे समय से ट्रेन चालकों की मांग थी कि उनके इंजन में ही टॉयलेट की व्यवस्था हो. दरअसल इसकी वजह से कई ट्रेनें घंटों लेट हो जाती थीं. मालगाड़ी भी कई बार ट्रैक पर ही रुकी रहती थी. फिलहाल इस इंजन का इस्तेमाल मालगाड़ी के लिए किया जाएगा.
ट्रेन रुकने पर ही खुलेगा टॉयलेट का दरवाजा
रेलवे अधिकारी बताते हैं कि डब्लूडीजी-4डी-70486 डुअल कैब 4500 हॉर्स पावर वाला है. कुल 5714 डीजल इंजनों में इसकी खासियत यह है कि इसे इंटरलॉकिंग बॉयोट्वॉयलेट से लैस किया गया है. जब ट्रेन की स्पीड जीरो होगी यानी जब रुकेगी तभी टॉयलेट का दरवाजा खुलेगा. चलती ट्रेन में लोको पॉयलट इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. कई तरह के सेंसर इसमें लगे हैं. लोको पॉयलट अगर टॉयलेट में है और गेट बंद है तो लोको इंजन का ब्रेक किसी हालत में नहीं छुड़ाया जा सकता है. अगर कोई चाहे कि टॉयलेट का गेट बंद हो और ट्रेन चला दी जाए तो ऐसा संभव नहीं होगा.
ट्रेन रुकने पर ग्रीन लाइट जलेगी
टॉयलेट के गेट के ऊपर रेड और ग्रीन रंग की लाइट लगी हुई हैं. ट्रेन जब रुकी होगी, तब ग्रीन लाइट जलेगी और टॉयलेट का गेट भी खुल सकेगा. ट्रेन के चलते ही रेड लाइट जल जाएगी. ऐसे में कोई गेट खोलना भी चाहेगा तो नहीं खुलेगा.
सुरक्षा कारणों से ऐसा किया गया है
रेलवे अधिकारी बताते हैं कि ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया है. ताकि ट्रेन के परिचालन में बाधा न आए. इंजन में दो चालक होते हैं और चलती ट्रेन में एक शौच चला गया और दूसरे का ध्यान भटक गया तो अनहोनी होने का डर रहेगा. इसलिए इन्टरलॉक दरवाजा लगाया गया है.