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'सबसे अलग चाले ह शेखावाटी को सियासी ऊंट!' थर्ड फ्रंट की होगी एंट्री?

कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान के शेखावाटी दौरे पर हैं. ऐसे में जानते हैं शेखावाटी का राजनीतिक इतिहास क्या है और इस बार क्या उम्मीदे हैं...

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. प्रदेश के नेताओं के साथ ही केंद्र के नेताओं को भी अब प्रदेश की याद आने लगी है. बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के बाद अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शेखावाटी में रैली की. राहुल शुरू से किसानों के मुद्दों को लेकर वसुंधरा राजे और केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं और शेखावाटी को किसानों का ही गढ़ माना जाता है.

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राजस्थान में शेखावाटी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां चुनावों में किसानों के मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे भी असर डालते हैं. कहा जाता है कि शेखावाटी का वोटर केंद्र की योजनाओं को देखकर नहीं, बल्कि स्थानीय प्रत्याशी को ध्यान में रखकर वोट देता है. जहां पूरे राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के चुनाव चिह्न के सामने का बटन ज्यादा दबाया जाता है, वहीं शेखावाटी में उतना ही प्रभाव सीपीएम, बसपा, निर्दलीय उम्मीदवारों का भी होता है.

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अगर पिछले तीन विधानसभा चुनावों की बात करें तो शेखावाटी की 25 फीसदी से अधिक सीटें अन्य पार्टियों की झोली में ही रही हैं. साल 2003 में 20 सीटों में से 4, 2008 में 21 में से 4 और साल 2013 में 21 में से 5 सीटें अन्य पार्टियों को मिली थीं. इस बार भी तीसरा मोर्चा बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. बीजेपी छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी, राजपा के प्रदेश अध्यक्ष नवीन पिलानिया और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने में जुटे हैं.

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इससे पहले शेखावाटी में कांग्रेस का ही एकाधिकार था, जिसे 1975 तक किसी ने चुनौती नहीं दी थी. हालांकि इमरजेंसी में कांग्रेस की पकड़ यहां ढीली हुई, 1977 में राजस्थान में जनता पार्टी की सरकार बनी. भैरोंसिंह शेखावत राज्य के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम बने. शेखावत के सीएम बनने से शेखावाटी में बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई. जाट बहुल इस क्षेत्र में साल 1999 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से जाट आरक्षण की घोषणा से बीजेपी के वोट बैंक का विस्तार हुआ.

हालांकि, शेखावाटी महिला राजनीति में बहुत पीछे है. शेखावाटी के सीकर, चूरू और झुंझुनूं जिले में कुल 21 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन आजादी के बाद से तीन जिलों की 21 सीटों पर अब तक मात्र छह महिला ही विधायक चुनी जा सकी हैं. वहीं, 13 विधानसभा चुनावों में से पहली, सातवीं व दसवीं विधानसभा में शेखावाटी से एक भी महिला विधानसभा नहीं पहुंच पाई थी.

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