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राजस्थान में किसानों का चक्का जाम, वार्ता पर उलझी सरकार

राजस्थान के शेखावटी के किसान पिछले 13 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इनकी मांग है कि किसानों के सरकारी और सहकारी बैंकों के कर्ज माफ किए जाएं, किसानों को लेकर बनी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए और हाल के दिनों में जो पशु बिक्री के लिए कानून बनाए गए हैं उनमें संसोधन किया जाए.

किसानों का चक्का जाम किसानों का चक्का जाम
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 13 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

राजस्थान में किसान आंदोलन की वजह से पूरा शेखावटी पिछले 13 दिनों से ठप्प पड़ा है. शेखावटी के सीकर, झुंझनू और चुरु जिले के किसानों ने पूरे इलाके में चक्का जाम कर रखा है. जब किसानों के आंदोलन की वजह से हालात बेकाबू होने लगे, तो जाकर बारहवें दिन राजस्थान सरकार जागी और किसानों के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए जयपुर बुलाया, लेकिन किसानों की कर्जमाफी माफी की मांग के मामले पर समझौता नहीं हो पाया.

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दरअसल, राजस्थान के शेखावटी के किसान पिछले 13 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इनकी मांग है कि किसानों के सरकारी और सहकारी बैंकों के कर्ज माफ किए जाएं, किसानों को लेकर बनी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए और हाल के दिनों में जो पशु बिक्री के लिए कानून बनाए गए हैं उनमें संसोधन किया जाए. किसान संगठनों का कहना है कि वो लंबे आंदोलन के लिए तैयार होकर आए हैं और अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो वे यहीं बैठेंगें.

किसानों के लिए राशन-पानी गांव के लोग जुटा रहे हैं और गांव-गांव से उनके लिए खाना-पानी ट्रैक्टरों में भरकर आ रहा है. महिलाएं भी सड़कों पर नृत्य-गीत के जरीए अपनी मांगें रख रही हैं. राजस्थान सरकार का दावा है कि मंगलवार की बैठक में सरकार 80 फीसदी मांगों को लेकर सहमत थी, लेकिन लोन माफी के मामले पर बात नहीं बन पाई. बुधवार को राजस्थान सरकार के मंत्रियों के साथ किसानों के प्रतिनिधिमंडल की फिर से बैठक हो रही है.

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इस बीच श्रीगंगानगर और बीकानेर से भी किसानों के आंदोलन की खबरें आ रही है, जिसकी वजह से राजस्थान सरकार की परेशानी बढ़ सकती है. लाखों की संख्या में किसान सीपीएम के पूर्व विधायक अमराराम के नेतृत्व में इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं. सीकर कस्बा तो पूरी तरह से बंद पड़ा है. सीकर की तरफ जाने वाले सभी राजमार्गों को किसानों ने बंद कर दिया है, जिससे दूध और दवाई जैसे जरुरी सामानों की किल्लत शुरु हो गई है.

किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनीती हुई है. चारो तरफ हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात है.मगर किसी तरह की टकराव न हो जाए, इसलिए पुलिस बल को सरकार ने किसानों से दूर रखा है. चुनावी साल में किसानों का ये आंदोलन वसुंधरा सरकार के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा बन गई है.

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