
आज चौथी बार राजस्थान सरकार गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने के लिए एक बिल विधानसभा में पेश करेगी. हर बार आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा होने के नाम पर कोर्ट गुर्जर आरक्षण पर रोक लगा देता है.
लेकिन इस बार सरकार का कहना है कि वो गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण बिल से नहीं, बल्कि नोटिफिकेशन देगी और ये नोटिफिकेशन जारी करने के पावर के लिए सरकार आरक्षण संसोधन विधेयक लाएगी.
इस बिल में विधानसभा में रखा जाएगा कि चूंकि साल 1994 में जातियों की संख्या 54 थी, लेकिन अब 91 जातियां हो गई हैं. इसलिए जिस अनुपात में जातियां और जनसंख्या बढ़ी है, उस अनुपात में आरक्षण देने की जरूरत है.
वर्ष 1931 की जनसंख्या के आधार पर राजस्थान में कुल 49 फीसदी आरक्षण है, जिसे अब बढ़ाने की जरूरत है.
दरअसल, गुर्जर आंदोलन के बाद बनी चोपड़ा कमेटी ने 15 दिसंबर 2007 को गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी, उसके बाद राजस्थान सरकार ने विधानसभा में 2008 में विधेयक पेश कर गुर्जरों को पांच फीसदी और 15 फीसदी आरक्षण आर्थिक रूप से अगड़ों को दिया था.
लेकिन तब आर्थिक रूप से आरक्षण का प्रावधान नहीं होने की वजह से कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.
फिर 30 जुलाई 2009 में सरकार ने अलग से गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिया. तब राज्य में कुल आरक्षण 54 फीसदी हो गया. राजस्थान हाईकोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक दी.
उसके बाद 6 मई 2010 को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान मानते हुए सरकार ने एक फीसदी आरक्षण गुर्जरों को दिया और तब से ये मामला कोर्ट में ही चल रहा है.
लेकिन गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि ओबीसी को दो भाग में बांटकर 50 फीसदी के अंदर ही आरक्षण दें, ताकि हमारा आरक्षण कोर्ट में नहीं अटके. वरना इस बार फिर कोर्ट में आरक्षण अटक जाएगा.
इस बार सरकार ओबीसी का वर्गीकरण तो कर रही है, लेकिन ओबीसी के 21 फीसदी में नहीं, बल्कि पिछली बार की तरह ही अलग से 5 फीसदी आरक्षण दे रही है. इससे राज्य में कुल आरक्षण फिर 54 फीसदी हो जाएगा. इस बार के आरक्षण में बस इतना ही अंतर है कि स्पेशल कैटगरी आरक्षण की बजाए सरकार ने ओबीसी भाग दो के नाम से गुर्जरों को आरक्षण दे रही है.