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दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में राजस्थान के जयपुर और जोधपुर शामिल

मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जेनेवा में दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की गई. इनमें भारत के 14 शहर शामिल हैं जिनमें कानपुर पहले पायदान पर है. वहीं सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली छठे स्थान पर है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
शरत कुमार/मोनिका गुप्ता/केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2018,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में राजस्थान के 2 शहर जयपुर और जोधपुर शामिल हैं. जयपुर 12 वें नंबर पर है. इस सूची के आने के बाद सरकार बचाव की मुद्रा में है. वहीं विपक्ष सरकार पर शहर को बर्बाद करने का आरोप लगा रही है.

बता दें कि मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जेनेवा में दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की गई. इनमें भारत के 14 शहर शामिल हैं जिनमें कानपुर पहले पायदान पर है. वहीं सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली छठे स्थान पर है.

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प्रदूषण विभाग का कहना है कि राजस्थान का इस तरह का मौसम है और इस तरह की भौगोलिक बनावट है कि डस्ट पॉल्यूशन सबसे ज्यादा रहता है. डस्ट की वजह से जयपुर सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. रेगिस्तानी इलाका होने की वजह से जब हवाएं चलती हैं तो अपने साथ ही डस्ट को लेकर भी चलती हैं.

बनाया गया इंटीग्रेटेड प्लान

वहीं राजस्थान सरकार का कहना है कि जयपुर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक इंटीग्रेटेड प्लान बनाया गया है. इसे अध्ययन के लिए IIT कानपुर को दिया गया है. ये डेढ़ करोड़ की योजना है. इसे सोर्स अपोर्समेंट स्टडी कहते हैं. इस स्टडी में व्हीकल पॉलूशन, रोड डस्ट पॉलूशन और इंडस्ट्रियल पॉलूशन का अध्ययन किया जाएगा कि कौन कहां पर कितनी मात्रा में है. उसके बाद सितंबर- अक्टूबर से लागू कर दिया जाएगा.

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संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार बेहद चिंतित है. इसके लिए हमने कई तरह के उपाय शुरू कर दिए हैं. इसके परिणाम जल्दी देखने को मिलेंगे. ये आंकड़ा 2016 का है लेकिन इसके बाद काफी बदलाव आया है.

अशोक गहलोत ने वसुंधरा सरकार पर बोला हमला

कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने वसुंधरा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि शहर के विकास के लिए सरकार ने कुछ भी नहीं किया, जिसकी वजह से प्रदूषण कम हो सके. कांग्रेस सरकार ने शहर में आधारभूत ढांचा तैयार किया था लेकिन पिछले चार साल से कुछ भी नहीं हुआ है. सरकार की नीतियां जनता को राहत देने वाली नहीं बल्कि मारने वाली हैं.

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