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राजस्थान सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के खिलाफ जमीन सौदे में गड़बड़ी के आरोपों पर कार्रवाई तेज कर दी है. सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा द्वारा बेची गई जमीन को जब्त कर लिया है. वाड्रा ने बीकानेर की करीब 75 हेक्टेयर जमीन साल 2012-13 में बेच दी थी. सवालों के घेरे में वाड्रा लैंड डील मामले की जांच कमेटी
दरअसल, राजस्थान सरकार ने बीकानेर के कोलायत क्षेत्र में कुल 360 हेक्टेयर जमीन का सौदा रद्द किया है. इसमें 74.85 हेक्टेयर जमीन रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने खरीदकर बाद में बेच दी थी. अब प्रदेश सरकार ने वाड्रा की कंपनी के साथ हुआ जमीन सौदा रद्द करके इस जमीन पर फिर से कब्जा कर लिया है. प्रशासन ने जमीन की मिल्कियत के हस्तांतरण को रद्द कर दिया है. आरोप है कि जमीन गलत तरीके से निजी क्षेत्र को आवंटित कर दी गई थी.
पूरा गड़बड़झाला फर्जी विस्थापित किसान बनकर जमीन अपने नाम कराने का है. पहले कुछ लोगों ने खुद को विस्थापित किसान दिखाकर जमीन का आवंटन करा लिया. इसके बाद कुछ जमीन वाड्रा की फर्म स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी ने खरीदी थी. स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी ने साल 2010 में कोलायत इलाके के कुछ गांवों की 74.85 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. बाद में जमीन सौदे में घोटाले के आरोप के बाद कंपनी ने यह जमीन बेच दी.
क्या है जमीन के पीछे का खेल...
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के राज्य में हुए भूमि सौदों की जांच पहले ही शुरू कर चुकी है. राज्य सरकार ने जोधपुर, बाड़मेर और बीकानेर के कलेक्टरों को सौदों से संबंधित सूचनाएं जुटाने और तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कने का निर्देश दिया गया था. आरोप है कि वाड्रा की भागीदारी वाली कंपनियों ने बीकानेर, जोधपुर और बाड़मेर में 2009 से 2012 के बीच हजारों एकड़ जमीन जुटाई. तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने ऐसी भूमि पर सौर ऊर्जा परियोजना लगाने की घोषणा की थी. यह भी आरोप है कि जैसे ही स्थलों की घोषणा हुई, कंपनियों ने ऊंची कीमतों पर जमीन बेच दी.