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'आजतक' का असर, स्कॉलरशिप मामले में बातचीत के बाद राजनाथ ने छात्रों को दिल्ली बुलाया

प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप योजना के तहत जयपुर आकर फंसे करीब 500 बच्चों को उस वक्त खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब 'आज तक' पर खबर देखने के बाद खुद देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर उनसे बात की.

राजनाथ सिंह राजनाथ सिंह
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 04 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप योजना के तहत जयपुर आकर फंसे करीब 500 बच्चों को उस वक्त खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब 'आज तक' पर खबर देखने के बाद खुद देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह और राजस्थान सरकार के मंत्रियों ने उन बच्चों को फोन कर उनका दर्द सुना और बातचीत करने के लिए दो दिन बाद दिल्ली बुलाया है. इससे पहले राजस्थान के शिक्षा मंत्री और राजनाथ सिंह ने 'आज तक' को फोनकर इन बच्चों के फोन नंबर लिए.

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दरअसल 2010 में इस उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना भारत सरकार के मानवसंसाधन मंत्रालय ने शुरू की थी. लेकिन 2015 में इस स्कीम में स्कॉलरशिप के नियमों में इतने बदलाव कर दिए गए कि जम्मू-कश्मीर के बच्चे स्कॉलरशिप नहीं मिलने से पढ़ाई छोड़कर वापस लौट रहे हैं. फिलहाल देशभर के विश्विधालयों में दाखिला लेने वाले साढ़े 12 हजार जम्मू-कश्मीर के छात्रों की स्कॉलरशिप रोक दी गई है.

'आज तक' ने जयपुर के ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी में जम्मू-कश्मीर के छात्रों का दर्द सुनाया था कि किस तरह से ये राज्य के बाहर प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना के तहत यहां दाखिला लिया था. लेकिन अचानक छात्रों की स्कॉलरशिप बंद कर दी गई है. 2010 में जम्मू-कश्मीर के छात्रों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर साल पांच हजार छात्रों को राज्य के बाहर के कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया था.

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भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने ये योजना शुरू की थी. लेकिन 2014-15 में देश में आई नई सरकार ने इसे मानव संसाधन मंत्रालय से हटाकर एआईसीटीसी को दे दी. अब यहां 2013 में पढ़ने आने वाले छात्रों के स्कॉलरशिप 2015 में ये कहकर बंद कर दिए गए कि आपके यूनिवर्सिटी का 12बी सर्टिफिकेट नहीं है यानी सरकार या सरकार से फंडेड यूनिवर्सिटी नहीं है. ये नया नियम 2015 में जोड़ा गया है. इस नियम का हवाला देकर पैसे नहीं देने से नाराज छात्र कह रहे हैं कि बहुत सारे छात्र लौट गए हैं जो पत्थर चलाने पर मजबूर हैं. लेकिन जैसे ही ये खबर 'आज तक' पर चली राजस्थान के शिक्षा मंत्री कालीचरण शर्राफ ने बात की और फिर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने.

करगिल के डसना से फॉर्मा की पढ़ाई करने ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी में आए छात्र मुहम्मद तकी ने कहा कि 'आज तक' पर न्यूज चलने के दस मिनट बाद हीं पहले तो हमारे पास राजस्थान सरकार के मंत्री का फोन आया, उन्होंने पूरी बात हमसे सुनी और फिर खुद गेश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमसे बातचीत की और कहा कि पूरी बात बताओ. हमने उन्हें पूरा समझाया कि हम यहां कैसे आकर फंसे हैं और हमारे साथ क्या हुआ है. फिर उन्होंने कहा कि अपनी समस्याओं को पूरी तरह से लिख लो और फिर आप लोग दो दिन बाद हमारे पास दिल्ली चले आओ. इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले हुसैन कहते हैं कि हम तो थक कर लौटने वाले थे लेकिन 'आज तक' की न्यूज के बाद जिस तरह से सबके फोन आए हैं हमें लगता है कि हमारा करियर बच जाएगा.

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इसी तरह से कई यूनिवर्सिटी को कह दिया कि एआईसीटीसी से अप्रूव्ड नहीं है, जबकि एआईसीटीसी को यूनिवर्सिटी के कोर्स को सर्टिफाई करने का अधिकार नहीं है. छात्रों का कहना है कि इस तरह के बर्ताव से जम्मू-कश्मीर में अफवाह फैल रही है कि ये सेना की स्कीम है और आर्मी बच्चों को फंसा रही है. इसबार काउंसलिंग में छात्रों का आरोप है कि एआईसीटीसी ने जबर्दस्त धांधली की है. एक छात्र को पहले मध्य प्रदेश के एक गांव में बीसीए करने भेज दिया जहां प्रिसिपल ने कहा कि ये कौन सी स्कीम है हमें पता नहीं है तुम तो पूरे पैसे लाओ.

गौरतलब है कि ये योजना जम्मू-कश्मीर के गांवों और गरीबों के बच्चों के लिए शुरू की गई थी लेकिन वहां तक इस योजना को लेकर बच्चों तक कोई पहुंच ही नहीं पाता. उधर इसी तरह की प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर पाकिस्तान सरकार ने शुरू की है जिसका जम्मू-कश्मीर में खूब प्रचार प्रसार किया जा रहा है. इन बच्चों को दुख इस बात का है कि इसी यूनिवर्सिटी में भारत सरकार इनके साथ पढ़ने वाले नेपाली छात्रों को नेपा योजना के तहत स्कॉलरशिप दे रही है लेकिन इन्हें नहीं दे रही है. यहां तक कि बिहार और मध्य प्रदेश सरकार भी इनके साथ पढ़ने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप दे रही है. फिलहाल अकेले राजस्थान में करीब 10 हजार जम्मू-कश्मीर के छात्र पढ़ रहे हैं.

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