
बॉलीवुड और टीवी की दुनिया के जाने-माने एक्टर अरुण गोविल को रामानंद सागर के सीरियल रामायण से देशभर में खूब पहचान मिली. सभी उन्हें भगवान के स्वरूप मानने लग गए थे और आज भी मानते हैं. पिछले कुछ समय से अरुण अपने एक बयान को लेकर सुर्खियों में चल रहे हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि उन्हें कभी किसी भी सरकार ने सम्मान नहीं दिया. तभी से ही उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर रिएक्शन्स की भरमार लगी हुई है. मगर अब एक्टर ने खुद एक नए ट्वीट में ये कह दिया है कि उन्हें कोई भी सम्मान नहीं चाहिए.
एक्टर ने ट्विटर पर एक नया ट्वीट कर लिखा है- मेरा मंतव्य, प्रश्न का उत्तर देना था. कोई अवार्ड पाने की आकांक्षा नहीं थी. हालांकि राजकीय सम्मान का अपना अस्तित्व होता है पर दर्शकों के प्यार से बड़ा कोई अवार्ड नहीं होता जो मुझे भरपूर मिला है. आप सभी के असीम प्रेम के लिए सप्रेम धन्यवाद.
किस ट्वीट पर हो रही चर्चा
चाहे कोई राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, मुझे आज तक किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया है. मैं उत्तर प्रदेश से हूं, लेकिन उस सरकार ने भी मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं दिया. और यहाँ तक कि मैं पचास साल से मुंबई में हूं, लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने भी कोई सम्मान नहीं दिया.
बता दें कि लॉकडाउन की वजह से दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामायण का प्रसारण चल रहा है. इसने कास्ट की पॉपुलैरिटी और बढ़ रही है. अरुण गोविल कई सारे इंटरव्यूज दे रहे हैं. कुछ दिन पहले ही एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उन्हें किसी भी सरकार द्वारा कोई सम्मान नहीं मिला. जिसके बाद से लोग टीवी के राम को सम्मान दिलाने के पक्ष में फिर से बात करने लग गए थे.
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जानिए क्या कहा था अरुण गोविल ने
इंटरव्यू के दौरान अरुण गोविल से पूछा गया था कि आपका योगदान अभिनय जगत में कमाल है, खासकर रामायण में, लेकिन आपको रामायण के लिए किसी पुरस्कार से सम्मानित किया गया क्या? इसका जवाब देते हुए अरुण गोविल ने कहा- चाहे कोई राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, मुझे आज तक किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया है. मैं उत्तर प्रदेश से हूं, लेकिन उस सरकार ने भी मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं दिया. और यहां तक कि मैं पचास साल से मुंबई में हूं, लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने भी कोई सम्मान नहीं दिया.