
एम्स की तर्ज पर विकसित किए जा रहे रांची के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आरआईएमएस) में मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बर्न वार्ड में जगह की कमी की वजह से मरीजों का इलाज फर्श पर किया जा रहा है. जबकि ऐसे मरीजों में इन्फेक्शन फैलने का जबरदस्त खतरा होता है.
यही हाल दूसरी बीमारियों का इलाज कराने आए मरीजों का भी है. इन मरीजों का इलाज वार्ड की जमीन पर या कॉरिडोर में किया जा रहा है. ऐसे में इन मरीजों के साथ-साथ यहां से गुजरने वालों को भी संक्रमण का गंभीर खतरा बना हुआ है. दरअसल रांची और आस-पास के जिलों के गरीब मरीजों के लिए आरआईएमएस ही एकमात्र इलाज का सहारा है. ऐसे में प्रतिएक दिन सैकड़ों की संख्या में मरीज यहां पहुंचते हैं. व्यवस्था में कमी की वजह से उन्हें मजबूरन वार्ड के फर्श पर ही रहना पड़ता है.
इस वजह में मरीजों के परिजन भी काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि सप्ताह भर के इंतजार के बाद भी उन्हें बेड उपलब्ध नहीं होता. वहीं आरआईएमएस के डायरेक्टर बीएल शेरवाल का कहना है कि आरआईएमएस एक सरकारी संस्थान है इसलिए हम इलाज से इनकार नहीं कर सकते. शेरवाल के मुताबिक वो सरकार से मांग करेंगे कि यहां उन मरीजों का इलाज हो जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. बाकि दूसरे मरीजों का इलाज सदर हॉस्पिटल या दूसरे सरकारी अस्पतालों में किया जाए. फिलहाल आरआईएमएस में 1500 बेड्स की सुविधा है.