
महंगाई को लेकर आक्रामक रुख अपनाने के लिए जाने जाने वाले रघुराम राजन ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर आज दो साल पूरे किए. अर्थव्यवस्था में संभावित अवस्फीति को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा सचेत किए जाने के साथ राजन पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है.
23वें गवर्नर के तौर पर संभाला था कार्यभार
रघुराम गोविंद राजन ने चार सितंबर, 2013 को 23वें गवर्नर के तौर पर कार्यभार संभाला और उस समय उनके समक्ष रुपये को संभालने, चालू खाते के ऊंचे घाटे से निपटने, आर्थिक वृद्धि में गिरावट थामने और रेटिंग एजेंसियों की धमकी से निपटने की चुनौती थी.
2 साल में किए व्यापक बदलाव
आरबीआई गवर्नर का पदभार संभालने के बाद राजन ने वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव के वादे के साथ कई बड़ी घोषणाएं की और पिछले दो सालों में इन निर्णयों को लागू किया.
खामियों की तुलना में उपलब्धियां ज्यादा
राजन खुदरा मुद्रास्फीति को जुलाई में 3.8 प्रतिशत पर लाने में सफल रहे जो सितंबर, 2013 में 9.8 प्रतिशत पर पहुंच गया था. हालांकि इन खामियों की तुलना में उनकी उपलब्धियां कहीं अधिक हैं. कुछ चीजें राजन के हाथ से निकलती दिखीं जिसमें चीन में संकट के बाद रुपया में तेज गिरावट और बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (NPA) का तेजी से बढ़ना शामिल है.
राजन जब अपना कार्यकाल पूरा कर रहे होंगे तो रिजर्व बैंक के ज्यादातर अधिकारों व स्वायत्तता खो देने के लिए उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति में गवर्नर का वीटो अधिकार नहीं रहने का सरकार का फार्मूला स्वीकार लिया है.