
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2016-17 का बजट पेश करने के साथ ही कई लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. जेटली के इस बजट की लगभग पूरे विपक्ष ने आलोचना की है. केंद्र सरकार ने पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए ये बजट पेश किया है. बजट पर असम और पश्चिम बंगाल के नेताओं ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है.
निराशाजनक है ये बजट
सांसद और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के नेता बदरुद्दीन अजमल ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ये बजट निराशाजनक है. इसमें लुभावने वादों के अलावा और कुछ नहीं है.' खेती और किसानों के लिए इस बजट में बड़े-बड़े आइडिया तो हैं लेकिन सवाल ये है कि सरकार उन पर अमल कैसे करेगी. वित्त मंत्री ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कह दी लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि 2019 के बाद वो अपने लंबे-लंबे वादों को कैसे पूरा करते हैं. मनरेगा और आधार जैसी यूपीए की तमाम योजनाएं जिनका पीएम मोदी अक्सर मजाक उड़ाते रहते हैं उन पर इस बजट में खासा ध्यान दिया गया है. एनडीए ने यूपीए की बहुत सी योजनाओं को अपनाया है. साफ है, यूपीए की योजनाओं को अपनी प्लेट में परोसना मोदी सरकार के काम करने का तरीके बनता जा रहा है. इस बजट में सबसे अफसोसजनक है कि इसमें डिफेंस और एजुकेशन को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है. इस बजट से साफ होता है कि संप्रदाय के आधार पर समाज को बांटने वाली ये सरकार आम आदमी से अपनी पकड़ खोती जा रही है.'
आम आदमी के लिए कुछ नहीं
असल बात यह है कि उत्तर भारत में असम और बंगाल दो ऐसे राज्य हैं जहां चुनाव होने वाले हैं और इन राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है. बंगाल में क्षेत्रीय पार्टियों और असम में अधिकतर कांग्रेस का बोलबाला रहता है. बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के सीएम तरुण गोगोई ने कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने टैक्स देने वालों पर लदे बोझ की भी बात की.
बजट में है विजन का अभाव
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'बजट के बारे में मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि सबसे पहले हमें इसे अच्छे से पढ़ने की जरूरत है. लेकिन इसमें विजन का अभाव साफ दिख रहा है. यह आम लोगों के हित में नहीं है. पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए तो ये किसी काम का नहीं है. सीएम ममता बनर्जी की ओर से हम कहना चाहते हैं कि, बिल तो पास हो गया लेकिन इसकी प्रोसेस में अभी लंबा वक्त लगेगा. डनलप और जेसप के मजदूरों के बारे में सोचते हुए हमने तय किया है कि उनकी मदद के तौर पर हम जल्द ही उन्हें एक अनुग्रहपूर्ण पेमेंट करेंगे. मजदूरों को 10,000 रुपए हर महीने के दिए जाएंगे. सरकार ने ये कदम मजदूरों की मदद के लिए उठाया है. डनलप में लगभग 550 जबकि जेसप में 564 मजदूर काम करते हैं. औद्योगिक पुनर्निर्माण विभाग की देखरेख में ये काम जल्द ही शुरू हो जाएगा.'
हमारी दिखाई राह पर चली केंद्र सरकार
बजट में सरकार ने इस साल घर खरीदने के बारे में सोचने वालों के लिए विशेष सुविधा का ऐलान किया है. लेकिन पश्चिम बंगाल के अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर फरहाद हकीम की राय इससे अलग है. वो कहते हैं, 'राज्य सरकार, केंद्र से पहले चिटफंड के खिलाफ बिल लेकर आई है. केंद्र में ये बिल लंबे वक्त से लटका था जिसे अब स्वीकृति मिली है. लेकिन हमारा बिल पहले पूरा हुआ. ये ममता बनर्जी की योजना थी. इसलिए हम कह सकते हैं कि वो हमारी राह पर चल रहे हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात है कि केंद्र हमारी दिखाई राह पर चल रहा है.'
रूरल इकॉनमी पर है सरकार का ध्यान
इस बीच ऐसे लोग भी हैं जिन्हें यह बजट पसंद आया. उन्होंने केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी रोशन गिरि ने बजट की तारीफ करते हुए कहा, 'बजट से साफ जाहिर है कि बीजेपी सरकार रूरल इकॉनमी को प्राथमिकता दे रही है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत अगले एक साल में एक करोड़ युवाओं में आंत्रप्रेन्योर स्किल्स डेवलप करने के मोदी सरकार के कदम की सराहना करता है. स्किल डेवलपमेंट सेंटरों के जरिए युवाओं के कौशल में सुधार होगा जिससे देश की बेरोजगारी की समस्या दूर करने में काफी मदद मिलेगी.' हालांकि इन सबके बीच, देखने वाली बात यह होगी कि ये बजट आने वाले चुनावों पर कितना प्रभाव डालता है.