
राजस्थान हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी गुर्जर आंदोलनकारी रेल की पटरियों और सड़कों से नहीं हट रहे हैं. आंदोलन थमने के अभी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि गुर्जर नेताओं और राजस्थान सरकार के बीच गुरुवार को होने वाली बातचीत टल गई है.
इससे पहले ऐसा कहा जा रहा था कि गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला जयपुर में राजस्थान सरकार से बातचीत करने वाले हैं. पर बाद में यह वार्ता टल गई.
इस बीच, गुर्जर आंदोलन की वजह से 326 ट्रेनें रद्द हो गई हैं. हजारों यात्री रेलवे सेवा बहाल होने के इंतजार में हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह आरक्षण की मांग पर अड़े आंदोलनकारियों को पटरियों और सड़कों से हटाए. अदालत ने मुख्य सचिव को कार्रवाई रिपोर्ट के साथ तलब किया था. कोर्ट ने यातायात बहाल न होने पर राज्य के मुख्य सचिव व DGP को फटकार लगाई है.
आंदोलनकारी नेताओं से सरकार की बातचीत 26 मई को जयपुर में शुरू हुई थी, लेकिन लगातार बैठकों के बाद भी चार दौर की वार्ता बेनतीजा रही. गुर्जर नेताओं की मांग और राजस्थान सरकार की संवैधानिक मजबूरी के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका. गुर्जर नेता पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर तर्क देते रहे और राजस्थान सरकार कानून और संविधान की दुहाई देती रही.
गुर्जर आरक्षण की मांग पर विचार के लिए जयपुर में 26 मई को बैठक हुई, तो दोनों ही पक्षों को यह उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक हो जाएगा. खुद गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भी जयपुर जाने की तैयारी में थे. लेकिन 27 मई को हुई बैठक में आखिर तक दोनों पक्ष बीच का रास्ता नहीं निकाल सके और बिना किसी नतीजे के बातचीत खत्म हो गई.
गुर्जर नेता इस बात पर अड़े रहे कि राजस्थान सरकार पचास फीसदी के अंदर गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिलवाए. वहीं राजस्थान सरकार यह कहती रही कि ओबीसी कोटे में बंटवारे से राज्य में सामाजिक समरसता बिगड़ेगी. मामला एक बार फिर वहीं का वहीं है. इस सबके बीच यात्री परेशान हैं. गर्मी में घंटों जाम में फंसने और प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के इंतजार में वक्त बिताने को मजबूर हैं.