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सरकारी नौकरियों में पांच फीसदी आरक्षण को लेकर गुर्जर आंदोलनकारियों के नेताओं और सरकार के बीच जयपुर में चल रही बातचीत विफल हो गई है. बुधवार को इस ओर चौथे दौर की बातचीत के बाद गुर्जर नेताओं ने कहा कि सरकार के पास समझौते के लिए कोई फॉर्मूला नहीं है.
राजस्थान सरकार ने साफ शब्दों में 50 फीसदी के अंदर गुर्जरों के 5 फीसदी आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया है. सरकार का कहना है कि ओबीसी कोटे में बंटवारे से राज्य में सामाजिक समरसता बिगरेगी और ओबीसी में शामिल 86 जातियां आंदोलन करने लगेंगी. ऐसे में सरकार आरक्षण के पुराने फॉर्मूले पर ही कायम रहना चाहती है.
हालांकि, सरकार ने अभी कोर्ट में जल्दी सुनवाई करवाने, पैरवी के लिए अटॉर्नी जनरल को बुलाने या फिर इस फासले को संविधान की नौवीं सूची में डालने का विकल्प दिया है, जिससे कि न्यायिक समीक्षा के दायरे से ये फैसला बाहर आ जाए. लेकिन गुर्जर नेताओं का कहना है कि आगे कोई बातचीत नहीं होगी और इस पूरे मामले पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला फैसला करेंगे.
रेल और सड़क मार्ग खुलवाने के निर्देश
दूसरी ओर, हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए राजस्थान सरकार ने गुर्जर आंदोलन से प्रभावित जिलों के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे आंदोलनकारियों को दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग , राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों से हटाकर सामान्य यातायात बहाल करें.
गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बताया, 'उच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालना में जयपुर और भरतपुर के पुलिस महानिरीक्षकों और भरतपुर, दौसा, करौली और सवाईमाधोपुर के जिलाधिकारियों को रेलवे ट्रेक और राजमार्ग खाली कराने के निर्देश दे दिए गए हैं.' उन्होंने कहा, 'आंदोलनकारियों को राजमार्गों को खाली करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से समझाया जाएगा और मुझे उम्मीद है कि आंदोलनकारी अदालत के आदेशों का आदर करेंगे.'
भरतपुर के जिलाधिकारी रवि जैन ने कहा कि सरकार के निर्देशों की पालना के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. भरतपुर के पुलिस महानिरीक्षक बीजू जार्ज जोसफ ने कहा कि सरकार के आदेश की अनुपालना बुधवार को ही सुनिश्चित की जाएगी.