Advertisement

...तो ये है प्रणव के हजार रनों की पारी के पीछे का राज

प्रणव पहले ही दिन 652 रन पर नॉटआउट रह कर 117 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुके थे, उनकी विपक्षी टीम (आर्या गुरुकुल) के छात्र बुरी तरह थक कर खेल खत्म होने के इंतजार में थे. लेकिन केसी गांधी हाई स्कूल के कोच ने मैच को चलते रहने दिया. आर्या गुरुकुल की टीम पहली पारी में सिर्फ 32 रन पर सिमट गई थी फिर भी केसी गांधी हाई स्कूल नें बदले में 1465 रन बनाए, जिसकी जरूरत ही नहीं थी.

लव रघुवंशी
  • मुंबई,
  • 08 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

एक ऑटो चलाने वाले के बेटे प्रणव धनावड़े स्कूल टूर्नामेंट में 1009 रन का विश्व रिकॉर्ड बना कर रातोंरात सेलेब्रिटी बन गए. उन्हें क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी और कई फिल्मी सितारों से भी प्रशंसा मिली. इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने प्रणव धनावड़े की कोचिंग और पढ़ाई का खर्च भी उठाने का फैसला लिया है. वहीं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन प्रणव को हर महीने 10 हजार रुपये स्कॉलरिशप देगी. मगर प्रणव के इस रिकॉर्ड ने उन छात्रों की मेहनत को पीछे छोड़ दिया जो पढ़ाई छोड़कर मैदान पर थे.

Advertisement

खेल खत्म होने के इंतजार में थी विपक्षी टीम

प्रणव पहले ही दिन 652 रन पर नॉटआउट रह कर 117 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुके थे, उनकी विपक्षी टीम (आर्या गुरुकुल) के छात्र बुरी तरह थक कर खेल खत्म होने के इंतजार में थे. लेकिन केसी गांधी हाई स्कूल के कोच ने मैच को चलते रहने दिया. आर्या गुरुकुल की टीम पहली पारी में सिर्फ 32 रन पर सिमट गई थी फिर भी केसी गांधी हाई स्कूल नें बदले में 1465 रन बनाए, जिसकी जरूरत ही नहीं थी.


विपक्षी टीम ने मजबूरी में खेला मैच

आर्या गुरुकुल के कोच योगेश जगताप ने बताया कि उनके पास अंडर-16 मैच खेलने के लिए 12 साल के खिलाड़ियों की टीम थी. उनकी सीनियर टीम इसलिए तैयार नहीं थी क्योंकि छह मुख्य खिलाड़ी प्री-बोर्ड परीक्षा में व्यस्त थे. लेकिन वे अगर इस मैच को खेलने से मना करते तो उन्हें अगले साल शायद एंट्री नहीं मिलती.

Advertisement

कभी लेदर बॉल से खेले ही नहीं

प्रणव धनावड़े का रिकॉर्ड एक तरफ से भले ही लोगों को खुश करता हो लेकिन दूसरी तरफ की हकीकत यह है कि आर्या स्कूल की टीम के ज्यादातर लड़के कभी लेदर बॉल से खेले ही नहीं थे. चोट लगने के डर से वे प्रणव के 129 चौक्कों और 59 छक्कों को रोक पाने में विफल रहे. मैच के दौरान कुल 21 कैच छोड़ी गई. हालांकि इसमें प्रणव धनावड़े की गलती नहीं निकाली जा सकती क्योंकि सलामी बल्लेबाजी करते हुए उनका लक्ष्य बड़े से बड़ा स्कोर खड़ा करना ही था. बस सवाल यह उठता है कि इतने बड़े स्कोर से कौन सा उद्देश्य पूरा होता है.

स्कूल स्तर पर सख्त नियमों की जरूरत

भारत के पूर्व कप्तान और मौजूदा समय में भारतीय अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ भी इस स्कोर से कुछ खास प्रभावित नहीं हुए. उनके मुताबिक जूनियर लेवल के क्रिकेट में कुछ सख्त नियमों की जरूरत है जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे हिस्सा ले सकें. सिर्फ उन बच्चों को मौका नहीं दिया जाना चाहिए जो पहले से ही प्रशिक्षित हैं और शतक जड़ सकते हैं. ऐसे बच्चे भी जरूरी हैं लेकिन जोनल मैचों में. स्कूल और क्लब क्रिकेट में ऐसे कुछ नियम बनाए जाने चाहिए जिससे सभी के लिए खेलने का समय निर्धारित हो.

Advertisement

सभी को मिले प्रतिभा दिखाने का मौका

राहुल द्रविड़ ने एमएके पटौदी मेमोरियल में एक व्याख्यान में कहा था कि जब 11 खिलाड़ियों का मैदान के लिए चयन होता है, तो उनके बाद 4 ऐसे भी बच्चे होते हैं जो बैठे रहते हैं. वे पूरा दिन स्कूल से छुट्टी लेते हैं और उनके पास करने के लिए कुछ नहीं होता है. प्रणव धनावड़े के 1009 रनों से दूसरे छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका ही नहीं मिल सका. इतना ही नहीं कई छोटे बच्चे जो घर से एक बेहतरीन गेंदबाज बनने का सपना लेकर निकले थे, वे एक बल्लेबाज से पिटने की निराशा के साथ लौटे.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement