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केजरीवाल-एलजी दफ्तर के बीच टकराव में लटके हुए थे ये फैसले

दिल्ली की जनता के लिए राहत की खबर ये है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉ एण्ड ऑर्डर, जमीन आवंटन और दिल्ली पुलिस को छोड़कर दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए हर फैसलों पर उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी नही है.

अरविंद केजरीवाल और अनिल बैजल, फाइल फोटो अरविंद केजरीवाल और अनिल बैजल, फाइल फोटो
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

दो हाथियों की लड़ाई में सबसे ज्यादा कुचली जाती है घास. दो हाथियों की लड़ाई, कविता की ये पंक्ती दिल्ली की जनता पर सटीक बैठती है. हम बात कर रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच जारी संघर्ष में पिस रही दिल्ली की जनता की.

इस बीच दिल्ली की जनता के लिए राहत की खबर ये है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉ एण्ड ऑर्डर, जमीन आवंटन और दिल्ली पुलिस को छोड़कर दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए हर फैसलों पर उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी नहीं है.

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हाल के दिनों में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल दफ्तर के बीच संघर्ष तब चरम पर पहुंच गया जब केजरीवाल अपने 4 कैबिनेट मंत्रियों के साथ एलजी आवास में ही धरने पर बैठ गए. इस धरने तीन वजहो मे से एक वजह राशन की डोर टू डोर डिलीवरी योजना का उपराज्यपाल कार्यालय में लंबित होना था.

दिल्ली सरकार के मीडिया सलाहकार अरूणोदय प्रकाश का aajtak.in से कहना है कि दिल्ली सरकार के फैसलों से जुड़ी लगभग चार सौ फाइलों पर विचार करने के लिए गठित शुंगलू समीति की रिपोर्ट पर उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा अंतिम फैसला न ले पाने की सूरत में केजरीवाल सरकार द्वारा लिए गए कई अहम फैसले लंबित हैं.

इसे पढ़ें: उपराज्यपाल को बड़ा झटका- इन 7 लाइनों में SC ने समझा दिया उनका अधिकार

कौन से अहम फैसले हैं लंबित ?

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·    घर-घर राशन की डिलिवरी-दिल्ली सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जिसकी फाइल मार्च 2018 में एलजी कार्यालय ने ये कहकर लौटा दी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली केंद्र का विषय है, लिहाजा दिल्ली सरकार केंद्र से संपर्क करे

·    स्वास्थ्य बीमा योजना- उपराज्यपाल ने ये कहकर लौटा दी कि दिल्ली सरकार इस योजना पर अन्य राज्य और केंद्र शासित राज्यों मे चल रहे इस तरह की योजनाओं के क्रियान्वयन के तरीको पर चर्चा कर मसौदा फिर से भेजे.

·    मिड डे मील योजना- इस योजना से जुड़ी फाइल को राज्यपाल कार्यालय ने यह कहकर लौटा दिया कि एनजीओ अक्षय पात्र फाउंडेशन को इस योजना का लाइसेंस और 4 एकड़ जमीन देने का फैसला बिना कोई टेंडर जारी किए सौंपा गया.

·    मोहल्ला क्लीनिक- स्कूलों में मोहल्ला क्लीनिक की स्थापना को लेकर छात्रों की सुरक्षा का सवाल खड़ा कर एलजी कार्यालय द्वारा लौटा दिया गया.

दिल्ली सरकार के इन लंबित फैसलों के साथ स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा, राष्ट्रीय राजधानी के ब्लैक स्पॉट पर रोशनी की व्यस्था, दिल्ली के सड़को की रीडिजाइनिंग और पिछली सरकार के 24 पॉलीक्लीनिक जिन्हे रीमॉडलिंग कर फिर से संचालित करना शामिल हैं.  अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के पास ऐसा कोई बहाना नहीं रह जाएगा जिससे वो यह कह सके कि उपराज्यपाल उन्हे काम नहीं करने दे रहे.

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